BFI Training Decision: मुक्केबाजी के राष्ट्रीय कैंप में निजी प्रशिक्षकों पर रोक लगी रहेगी

राष्ट्रीय कैंपों में निजी कोचों पर रोक जारी, बीएफआई ने केंद्रीकृत प्रशिक्षण को मजबूती दी
मुक्केबाजी के राष्ट्रीय कैंप में निजी प्रशिक्षकों पर रोक लगी रहेगी

नई दिल्ली:  राष्ट्रीय मुक्केबाजी कार्यक्रम में केंद्रीकृत प्रशिक्षण को मजबूत करने और एकरूपता बनाए रखने के लिए भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) की देखरेख करने वाली अंतरिम समिति ने आधिकारिक राष्ट्रीय शिविरों (कैंप) में निजी प्रशिक्षकों और सहायक कर्मचारियों को अनुमति न देने की अपनी घोषणा को जारी रखने का फैसला लिया है।

इस निर्देश का उद्देश्य भारतीय मुक्केबाजों के लिए प्रमुख वैश्विक आयोजनों, जैसे सितंबर में लिवरपूल में होने वाली विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप, नवंबर में नई दिल्ली में होने वाले विश्व मुक्केबाजी कप फाइनल्स और अगले साल होने वाले एशियाई खेलों के लिए तैयारी के मानकों में समानता सुनिश्चित करना है।

भारत के पेरिस 2024 ओलंपिक अभियान से सबक लेते हुए, मुक्केबाजी अंतरिम समिति ने एक केंद्रीकृत और जवाबदेह प्रशिक्षण प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया है।

तीन महीने पहले शुरू की गई इस व्यवस्था के तहत सभी राष्ट्रीय शिविरों में मुक्केबाजों को महासंघ द्वारा नियुक्त प्रशिक्षकों के अधीन प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा। इसके परिणाम आने भी शुरू हो गए हैं।

पुरुष और महिला मुक्केबाजी में उल्लेखनीय प्रगति दिखी है। भारत ने ब्राजील में विश्व मुक्केबाजी कप में छह पदक हासिल किए और वहीं हाल में अस्ताना में संपन्न विश्व मुक्केबाजी कप में महिला वर्ग में तीन स्वर्ण पदक सहित 11 पदक जीते।

बीएफआई के कार्यकारी निदेशक और अंतरिम समिति के सदस्य, कर्नल (सेवानिवृत्त) अरुण मलिक ने कहा, "एक एकीकृत, केंद्रीकृत प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है। अपने कोचिंग ढांचे को सुदृढ़ करके, हम स्पष्ट प्रदर्शन मानक बनाए रखने, वास्तविक समय में प्रगति पर नजर रखने और आवश्यकतानुसार समय पर सुधार लागू करने में सक्षम हैं।"

उन्होंने कहा, "यह प्रक्रिया बेहतर अनुशासन, डेटा-आधारित फीडबैक और दीर्घकालिक एथलीट विकास पर ध्यान केंद्रित करती है। कजाकिस्तान के अस्ताना में विश्व मुक्केबाजी कप में ऐतिहासिक प्रदर्शन सहित हमारी हालिया पदक तालिका इस बात को पुष्ट करती है कि एक केंद्रीकृत मॉडल परिणाम देता है। हम उच्च-स्तरीय सफलता को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए इस प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

राष्ट्रीय शिविरों का नेतृत्व वर्तमान में मुख्य प्रशिक्षक डी.एस. यादव (पुरुष) और डॉ. चंद्रलाल (महिला) कर रहे हैं।

यह निर्देश भारतीय मुक्केबाजी में एक महत्वपूर्ण बदलाव को रेखांकित करता है, जो व्यक्तिगत नेतृत्व वाली तैयारियों से हटकर वैश्विक प्रभाव और उत्कृष्टता के लिए तैयार की गई एकल, एकजुट प्रणाली की ओर ले जाएगा।

ऐसी प्रणाली की आवश्यकता इसलिए महसूस की जाती है, क्योंकि कई बार खिलाड़ी कोच की शैली, तरीकों और दृष्टिकोण का अनुसरण करने में रुचि दिखाते हैं, जो राष्ट्रीय कोच द्वारा प्रस्तावित तरीकों से मेल नहीं खाता।

 

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