Eid Ul Azha Message: कुर्बानी का शरीयत में कोई विकल्प नहीं, दिखावे और हुड़दंग से बचें : मौलाना कारी इसहाक गोरा

ईद-उल-अजहा पर मौलाना का बयान- कुर्बानी इबादत है, दिखावे और दुष्प्रचार से बचें
कुर्बानी का शरीयत में कोई विकल्प नहीं, दिखावे और हुड़दंग से बचें : मौलाना कारी इसहाक गोरा

 

देवबंद/सहारनपुर, 3 जून (आईएएनएस)। देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने ईद-उल-अजहा के मौके पर अहम अपील की है। उन्‍होंने मुसलमानों को कुर्बानी के असली मकसद की याद दिलाई है। साथ ही उन्होंने उन लोगों को भी करारा जवाब दिया है जो सोशल मीडिया पर कुर्बानी के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं।

मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने साफ कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि जानवर की कुर्बानी की जगह कुछ और किया जाए, यानी केक काटें तो उन्हें यह समझना चाहिए कि शरीयत में ईद-उल-अजहा की कुर्बानी का कोई विकल्प नहीं है। यह एक इबादत है, रस्म नहीं। अल्लाह की इबादत को अपने जाती ख्यालात और सुविधाओं से नहीं तोला जा सकता।

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग जानवर की कुर्बानी के खिलाफ ज्ञान बांट रहे हैं, उन्हें पहले अपने घर के फ्रिज में झांककर देखना चाहिए कि उसमें कितना मांस रखा हुआ है।

मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने दो टूक कहा कि किसी भी धर्म विशेष की धार्मिक परंपराओं को निशाना बनाना सामाजिक सौहार्द के लिए खतरनाक है। हमें चाहिए कि हम अपने गिरेबान में झांके और दूसरों के धर्म का सम्मान करें।

अपने वीडियो संदेश में उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि कुर्बानी करने वाले हर मुसलमान को यह याद रखना चाहिए कि कुर्बानी वाजिब है, लेकिन साथ ही साफ-सफाई और सामाजिक जिम्मेदारी का भी ध्‍यान रखें। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जानवरों की तस्वीरें और वीडियो डालना, सड़कों पर जानवरों को घुमा-घुमाकर हुड़दंग मचाना शरीयत और तहजीब दोनों के खिलाफ है। कुर्बानी अल्लाह के लिए होती है, इंसानों को दिखाने के लिए नहीं।

कारी साहब ने ताकीद की कि कुर्बानी किसी प्रतिबंधित जानवर की न की जाए, और न ही खुले स्थान पर बिना इजाज़त कुर्बानी की जाए। इसके अलावा, कुर्बानी के बाद जानवरों के अवशेष नगरपालिका या नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थान पर ही फेंके जाएं ताकि शहर की साफ-सफाई बनी रहे।

अंत में उन्होंने कहा कि ईद-उल-अज़हा का पैग़ाम त्याग, सादगी और अल्लाह की राह में सब कुछ कुर्बान कर देने का है। इस मौके पर हर मुसलमान को अपने अमल से यह साबित करना चाहिए कि इस्लाम मोहब्बत, सफाई, शालीनता और इंसाफ़ का मजहब है।

 

 

 

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