Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव: सिमरी बख्तियारपुर, जहां मखाने की महक और सियासत की गर्मी बनी सुर्खी

सिमरी बख्तियारपुर सीट पर जदयू-राजद की टक्कर, स्थानीय मुद्दे तय करेंगे जीत
बिहार विधानसभा चुनाव: सिमरी बख्तियारपुर, जहां मखाने की महक और सियासत की गर्मी बनी सुर्खी

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की गहमागहमी में सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर सीट पर हर किसी की नजर टिकी है। खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक समीकरणों के लिहाज से भी बेहद अहम है।

सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल स्तरीय कस्बा है, जो आसपास के गांवों को बड़े बाजारों से जोड़ने का मुख्य केंद्र है। यह सहरसा जिले का दूसरा सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। क्षेत्र का भूभाग समतल और उपजाऊ है, जहां धान, गेहूं और मक्का की खेती बड़े पैमाने पर होती है। साथ ही मखाने की खेती यहां की पहचान बन चुकी है, जिसकी मांग देश से लेकर विदेश में भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि मखाना खेती ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार दिया है। इसके अलावा चावल मिल और ईंट भट्ठे जैसे लघु उद्योग भी लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं।

भौगोलिक स्थिति की बात करें तो सहरसा मुख्यालय यहां से 20 किमी, मधेपुरा 30 किमी, खगड़िया 45 किमी, मुंगेर 83 किमी और बेगूसराय 106 किमी दूर है। राज्य की राजधानी पटना की दूरी लगभग 190 किमी है। सिमरी बख्तियारपुर राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे स्टेशन से जुड़ा होने के कारण बेहतर कनेक्टिविटी रखता है।

सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा की स्थापना 1951 में हुई थी और 1952 में पहली बार चुनाव संपन्न हुआ। हालांकि पहले परिसीमन आयोग की सिफारिश पर यह सीट खत्म कर दी गई थी, लेकिन 1967 में दोबारा स्थापित हुई और 1969 से यहां नियमित रूप से चुनाव हो रहे हैं। अब तक यहां 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2009 और 2019 के दो उपचुनाव भी शामिल हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने सबसे अधिक आठ बार जीत हासिल की है। जदयू चार बार विजयी रहा है, जबकि राजद ने 2019 के उपचुनाव में पहली बार कब्जा जमाया और 2020 में भी अपनी पकड़ बरकरार रखी। इसके अलावा संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार जीत दर्ज की है।

2005, 2010 और 2015 में यह सीट जदयू के कब्जे में रही, जिसमें दिनेश चंद्र यादव ने लगातार मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। वहीं 2019 के उपचुनाव में राजद के युसुफ सलाउद्दीन ने जीत हासिल कर समीकरण बदल दिए और 2020 के चुनाव में भी उन्होंने वीआईपी के मुकेश सहनी को हराकर सीट अपने पास रखी। इससे यह साफ है कि अब इस क्षेत्र में भाजपा की प्रत्यक्ष मौजूदगी उतनी दमदार नहीं है और मुख्य मुकाबला जदयू और राजद के बीच ही देखने को मिलता है।

2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा की अनुमानित जनसंख्या 5,91,400 है। इसमें 3,02,767 पुरुष और 2,88,633 महिलाएं शामिल हैं। वहीं, कुल मतदाता संख्या 3,51,506 है, जिनमें 1,82,540 पुरुष, 1,68,950 महिलाएं और 16 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।

यहां का राजनीतिक समीकरण जातिगत आधार पर काफी हद तक प्रभावित होता है। यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि राजद को यहां सामाजिक आधार मिला, जबकि जदयू ने विकास और व्यक्तिगत छवि पर चुनावी जीत दर्ज की।

स्थानीय मुद्दों की बात करें तो बाढ़ नियंत्रण, मखाना उद्योग को बढ़ावा, सड़क-रेल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सुविधाएं और युवाओं को रोजगार जैसे मुद्दे चुनावी बहस का केंद्र बने हुए हैं। जनता इस बार उन प्रत्याशियों की ओर झुक सकती है जो बाढ़ और पलायन जैसी गंभीर समस्याओं का ठोस समाधान पेश करेंगे।

 

 

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