मिजोरम के डम्पा विधानसभा उपचुनाव में 82 प्रतिशत से अधिक मतदान

मिजोरम के डम्पा विधानसभा उपचुनाव में 82 प्रतिशत से अधिक मतदान

आइजोल, 11 नवंबर (आईएएनएस)। मिजोरम के डम्पा विधानसभा क्षेत्र के लिए मंगलवार को हुए उपचुनाव में 20,790 मतदाताओं में से 82.34 प्रतिशत से अधिक लोगों ने वोट डाले। नतीजे 14 नवंबर को जारी होंगे।

चुनाव अधिकारी के मुताबिक, मामित जिले के डम्पा विधानसभा क्षेत्र के 41 में से 40 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हुआ। इस दौरान किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।

अधिकारी ने बताया कि डम्पा विधानसभा क्षेत्र (आदिवासियों के लिए आरक्षित) उपचुनाव में कुल 41 मतदान केंद्रों में से 40 पर वेबकास्टिंग की गई।

विधानसभा क्षेत्र के तीन मतदान केंद्रों को संवेदनशील घोषित किया गया था, जिसके कारण सुरक्षा बलों की अधिक संख्या में तैनाती की गई।

कुल मिलाकर, 10,185 महिलाओं सहित 20,790 मतदाता इस सीट के लिए पांच उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला करने के लिए मतदान करने के पात्र थे। यह सीट 21 जुलाई को विपक्षी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के विधायक लालरिन्टलुआंगा सैलो के निधन के बाद खाली हुई थी।

यह विधानसभा क्षेत्र चकमा और रियांग आदिवासी समुदायों सहित अल्पसंख्यकों की एक बड़ी आबादी है। इसकी सीमा बांग्लादेश से लगती है और त्रिपुरा से भी इसकी अंतर-राज्यीय सीमा लगती है।

मतदान केंद्रों और आसपास के सीमावर्ती क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों को तैनात किया गया है।

सत्तारूढ़ जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने मिजो गायिका और धर्मोपदेशक वनलालसैलोवा को मैदान में उतारा है, जबकि एमएनएफ ने अपने उपाध्यक्ष और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री आर. लालथंगलियाना को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने अपने राज्य उपाध्यक्ष और पूर्व परिवहन मंत्री जॉन रोटलुआंगलियाना को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने लालमिंगथांगा को उम्मीदवार बनाया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ब्रिगेडियर टी. सैलो की पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने अपने उपाध्यक्ष के. जहमिंगथांगा को मैदान में उतारा है।

राज्य पुलिस नोडल अधिकारी एच रामथलेंगलियाना, पुलिस महानिरीक्षक (मुख्यालय एवं कानून एवं व्यवस्था) की देखरेख में उपचुनाव के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

डम्पा विधानसभा उपचुनाव मुख्यमंत्री लालदुहोमा के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ जेडपीएम के लिए अग्निपरीक्षा माना जा रहा है, क्योंकि इसके परिणाम 3 दिसंबर को होने वाले लाई स्वायत्त जिला परिषद (एलएडीसी) चुनावों और इस साल के अंत में होने वाले आइजोल नगर निगम (एएमसी) चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं। उपचुनाव में जीत विपक्षी दलों, खासकर मुख्य विपक्षी दल एमएनएफ की बढ़ती आलोचना के बीच जेडपीएम का मनोबल बढ़ाएगी।

एमएनएफ के लिए यह उपचुनाव बेहद अहम है क्योंकि हार से 40 सदस्यीय विधानसभा में उसके विधायकों की संख्या घटकर नौ रह जाएगी और विपक्ष के नेता पद पर उसका दावा खतरे में पड़ जाएगा।

विपक्ष के नेता पद के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 10 विधायकों की आवश्यकता होती है और 21 जुलाई को लालरिन्टलुआंगा सैलो के निधन के बाद एमएनएफ के पास वर्तमान में नौ विधायक हैं।

--आईएएनएस

एएसएच/डीकेपी

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