नई दिल्ली: हाल ही में सामने आई एक रिसर्च ने फैटी लिवर डिजीज विटामिन बी12 की कमी से भी जोड़ा है। विटामिन बी12 शरीर के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण, डीएनए संश्लेषण और तंत्रिका तंत्र के कामकाज में अहम भूमिका निभाता है।
यह मुख्य रूप से मांस, अंडे और डेयरी उत्पादों में पाया जाता है। 2022 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, विटामिन बी12 और फोलिक एसिड की कमी लिवर की कोशिकाओं में फैट मेटाबॉलिज्म से जुड़ी एक जरूरी प्रोटीनसिंटाक्सीन 17 को प्रभावित करती है। इस प्रोटीन की कार्यक्षमता कम होने पर फैट लिवर की स्थिति और बिगड़ सकती है। शोध में यह भी देखा गया कि होमोसिस्टीन नामक अमीनो एसिड की अधिकता लिवर फंक्शन को बाधित करती है और एनएफएलडी को गंभीर रूप एनएएसएच (नॉन-अल्कोहोलिक स्टेटोहैपेटाइटिस) में बदल सकती है। हालांकि, जब मरीजों को विटामिन बी12 और फोलिक एसिड सप्लीमेंट दिए गए, तो उनकी लिवर सूजन और फाइब्रोसिस में सुधार देखा गया।
शोधकर्ताओं का मानना है कि ये सप्लीमेंट्स सुरक्षित, सस्ते और आसानी से उपलब्ध हैं, जो फैटी लिवर के इलाज में प्रभावी हो सकते हैं। इससे न केवल लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत को टाला जा सकता है बल्कि यह उपचार आर्थिक दृष्टिकोण से भी किफायती साबित हो सकता है। फैटी लिवर दो प्रकार के होते हैं—एनएफएलडी, जो शराब पीने वालों में होता है और एनएफएलडी, जो बिना शराब पीने वालों को होता है। अगर इसे समय रहते नहीं पहचाना गया, तो यह थकान, पेट दर्द, वजन घटना, आंखों और त्वचा का पीलापन जैसे लक्षण पैदा कर सकता है। ऐसे में जरूरी है कि लिवर प्रोफाइल और विटामिन बी12 की जांच कराकर समय पर उपचार लिया जाए।
मालूम हो कि भारत में हर चार में से एक व्यक्ति फैटी लिवर डिजीज से प्रभावित है, जो अब न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है। खासतौर पर नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर रही है। यह बीमारी लिवर में चुपचाप फैट जमा होने से होती है, जो शुरुआत में बिना किसी लक्षण के शरीर को नुकसान पहुंचाती रहती है।