नई दिल्ली: देश में 14 राज्यों के 6.1 करोड़ से अधिक किसानों की डिजिटल आईडी बन गई है। यह जानकारी ताजा सरकारी डेटा में दी गई है।
डिजिटल आईडी एक तरह से आधार कार्ड की तरह ही होती है, जिसमें किसानों के भूमि रिकॉर्ड के साथ-साथ अन्य जानकारियां होती हैं।
डिजिटल कृषि मिशन के हिस्से एग्री स्टैक के तहत किसानों को दी गई इन डिजिटल आईडी को राज्य सरकारों या केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन के द्वारा व्यवस्थित किया जाता है।
डिजिटल आईडी को किसानों से जुड़े विभिन्न डेटा से जोड़ा जाता है, जिसमें भूमि और पशुधन का रिकॉर्ड, बोई गई फसलें और प्राप्त लाभ शामिल हैं। इससे ऋण, फसल बीमा और पीएम किसान भुगतान में भी तेजी लाने में मदद मिलती है।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 1.3 करोड़ किसानों की डिजिटल आईडी जनरेट हुई हैं। वहीं, महाराष्ट्र में 99 लाख, मध्य प्रदेश में 83 लाख, आंध्र प्रदेश में 45 लाख, गुजरात में 44 लाख और राजस्थान में 75 लाख डिजिटल आई़डी जारी हुई हैं।
डेटा के मुताबिक, तमिलनाडु, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और मध्य प्रदेश ने भी डिजिटल आईडी उपलब्ध कराने में काफी प्रगति की है।
'डिजिटल कृषि मिशन' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट कमेटी ने 2024 में 2,817 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ मंजूरी दी थी। इसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 1,940 करोड़ रुपए थी।
इस मिशन का उद्देश्य 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल आईडी जनरेट करना है।
इसमें दो वर्षों के भीतर देश भर में डिजिटल फसल सर्वेक्षण शुरू करने की भी योजना बनाई गई है, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 में 400 जिले और वित्त वर्ष 2025-26 में सभी जिले शामिल होंगे।
एग्री स्टैक प्लेटफॉर्म किसानों के जनसांख्यिकीय विवरण, भूमि जोत और बोई गई फसलों पर व्यापक और उपयोगी डेटा प्रदान करता है, जिससे किसान क्रेडिट, बीमा, खरीद आदि जैसे लाभ किसानों को आसानी से उपलब्ध कराए जा सके।