लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताने वाले केस को बंद कर दिया है। कोर्ट ने कहा- राहुल की नागरिकता की रिपोर्ट केंद्र सरकार पेश नहीं कर पाई। कोर्ट ने कहा कि केवल रिपोर्ट के इंतजार में याचिका को लंबित नहीं रखा जा सकता। जब भी रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्राप्त होती है, तो याचिकाकर्ता को उसकी एक प्रति उपलब्ध कराएं और उसे कोर्ट में भी प्रस्तुत करें।
केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि यह मामला दो देशों के बीच की संवेदनशील जानकारी से जुड़ा है। संबंधित देश को कई रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है, इसलिए कुछ और समय दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इस याचिका की सुनवाई पूरी की जा रही है। याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता है कि वह नागरिकता से संबंधित किसी भी अन्य फोरम या कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था- देरी नहीं चलेगी
21 अप्रैल को हुई सुनवाई में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सूर्यभान पांडेय ने केंद्र की ओर से स्थिति रिपोर्ट पेश की, लेकिन कोर्ट ने उसे अपर्याप्त मानते हुए सख्त टिप्पणी की- यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है, देरी नहीं चलेगी। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं? 10 दिन में स्पष्ट कीजिए। हैरानी की बात यह रही कि राहुल गांधी की ओर से कोई वकील अदालत में पेश नहीं हुआ।
याचिका में राहुल को ब्रिटिश नागरिक बताया गया था
कर्नाटक के रहने वाले विग्नेश शिशिर ने याचिका दायर कर दावा किया है कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन की एक कंपनी में डायरेक्टर रहते हुए खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था। याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि दोहरी नागरिकता रखने वाला व्यक्ति चुनाव लडऩे के योग्य नहीं है। विग्नेश शिशिर ने भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।