Haridwar News: भेल क्षेत्र से अवैध यूनिपोल्स हटाने के बाद सवाल 5 साल तक लगे रहे अवैध यूनिपोल्स की कमाई आखिर किसकी जेब मे गई

भेल हरिद्वार में पांच साल तक लगे अवैध यूनिपोल से 5.60 करोड़ की कमाई, जांच की मांग तेज।
officer involvement in scam

हरिद्वार :  भेल में 5 साल तक अवैध यूनिपोल लगाकर किसने कमाए करोड़ों, सवालों के घेरे में अधिकारियों की भूमिका

भेल में अवैध यूनिपोल हटने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि अधिकारियों और विज्ञापन माफिया की मिलीभगत से करोड़ों रुपये कमाए गए। पांच साल तक अवैध यूनिपोल लगे रहे और भेल को कोई राजस्व नहीं मिला। अब जांच और राजस्व वसूली की मांग उठ रही है पर अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।

 

आखिर किसकी शह पर पांच साल तक लगे रहे 16 अवैध यूनिपोल

 भेल में अवैध यूनिपोल हटने के साथ सबसे बड़ा सवाल यह है कि भेल भूमि पर पांच साल तक 16 अवैध यूनिपोल लगाकर आखिर किसने करोड़ों रुपये कमाए ? 

दूसरा सवाल यह है कि पांच साल तक अवैध यूनिपोल हटाने की जहमत भेल अधिकारियों ने क्यों नहीं उठाई। इस मामले में सीधे तौर पर उन अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है, जो संपदा विभाग में बीते पांच सालों में तैनात रहे हैं।

चर्चाए जोरों पर हैं कि विज्ञापन माफिया ने कुछ सफेदपोश और अधिकारियों से सांठ-गांठ करते हुए पांच साल तक अवैध यूनिपोल लगाकर करोड़ो रुपये के वारे के न्यारे किए गए। इन सवालों पर भेल में अंदरूरी तौर पर चुप्पी छाई हुई है। लेकिन बाहर आमजन यह जानना चाहते हैं कि क्या भेल प्रबंधन या जिला प्रशासन इस मामले की जांच बैठाते हुए करोड़ोंं रुपये के राजस्व की रिकवरी की हिम्मत जुटा पाएगा।

भेल मध्य मार्ग की मुख्य सड़कों और चौराहों पर वर्ष 2019 से 16 अवैध यूनिपोल्स लगे हुए थे। जिन पर विभिन्न कंपनियों और संगठनों के विज्ञापन लगातार चलते रहे। कुछ दिनों पहले भेल नगर प्रशासन की ओर से अभियान चलाते हुए सभी यूनिपोल हटवा दिए गए। तब खुलासा हुआ कि सभी यूनिपोल अवैध रूप से लगे थे।

पांच साल में इन यूनिपोल से न तो भेल प्रशासन को कोई राजस्व मिला और न ही कोई वैध अनुमति ली गई थी। मुख्य मार्गों और चौराहों पर लगे विशालकाय यूनिपोल अधिकारियों को नजर न आएं हों, ऐसा संभव नहीं है। इसलिए इस बात में कोई शक नहीं है कि विज्ञापन माफिया ने कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से पांच साल तक अवैध यूनिपोल लगाकर करोड़ों रुपये कमाए हैं।

पूरे पांच साल तक अवैध यूनिपोल का भेल भूमि पर टिके रहना ही मिलीभगत का सबसे बड़ा सबूत है। सूत्र बताते हैं कि विज्ञापन माफिया, सफेदपोश और अधिकारियों  ने  मिलकर  पूरा खेल खेला है। नवरत्न संस्थान की हर छोटी से छोटी गतिविधियों पर पैनी नजर रखने वाले उच्च प्रबंधन और सतर्कता विभाग को इस खेल की भनक क्यों नहीं लग सकी ?, यह भी हैरत की बात है। अवैध यूनिपोल हटने के साथ ही गोलमाल करने वालों के चेहरे बेनकाब होने भी जरूरी हैं।

पांच साल में 5.60 करोड़ रुपये डकारे गए। हरिद्वार शहर में चुनावी सीजन के अलावा एक यूनिपोल पर एक साइट का किराया एक हजार रुपये प्रतिदिन है। भेल में सभी यूनिपोल दोनों साइड वाले थे। इस लिहाज से एक यूनिपोल से हर महीने 60 हजार रुपये आय हुई होंगी। पूरे साल में एक यूनिपोल से 7.20 लाख रुपये और 16 यूनिपोल से हर साल 1.12 करोड़ रुपये कमाए गए। पांच साल का गुणा-भाग किया जाए तो यह रकम 5 करोड़ 60 लाख आखिर किसने डकारी इतनी बड़ी रकम ? 

नगर प्रशासक इस बाबत कुछ बोलने को तैयार नहीं उन्होंने बताया कि हमने तो बस अवैध यूनीपोल्स हटाए हैं।

 

 

 

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