आरोप सिद्ध होने पर प्रोफेसर सुरेशचंद तिवारी को सपत्निक न्यायालय ने सुनाई तीन-तीन साल की सजा-लगाया अर्थदंड भी

प्रोफेसर सुरेशचंद तिवारी और उनकी पत्नी को जमीन धोखाधड़ी में सजा, 25.5 लाख का जुर्माना
Professor Sureshchand Tiwari,

कोरबा: कोरबा अंचल के दादरखुर्द क्षेत्र में जमीन बिक्री में फर्जीवाड़े के आरोप से अंचल में चर्चित हुए प्रोफेसर सुरेशचंद तिवारी को सपत्निक आरोप सिद्ध होने पर न्यायालय ने तीन-तीन साल की सजा अर्थदंड सहित सुनाई हैं। न्यायालय ने पीड़ित पक्ष को 25.5 लाख रुपए अदा करने का आदेश दिया है।
   

    जानकारी के अनुसार मामला लगभग 12 साल पहले हुए धोखाधड़ी का है। प्रार्थी जगदीश मिश्रा निवासी साकेत विहार जिला पटना (बिहार) ने 10 जुलाई 2020 को मानिकपुर पुलिस चौकी में दादरखुर्द के परशुराम नगर निवासी प्रोफेसर सुरेशचंद तिवारी सहित उनकी पत्नी के खिलाफ लिखित शिकायत की थी। इसके मुताबिक प्राथी सेवानिवृत्त होने के बाद प्राप्त रकम का सदुपयोग करने जमीन क्रय करना चाहते थे। उन्हें पता चला कि सुरेशचंद तिवारी अपनी भूमि का विक्रय कर रहे हैं। वे 2013 में सुरेशचंद तिवारी के घर पहुंचे। तब सुरेश तिवारी ने बताया कि उनकी एक भूमि है, जो उनकी पत्नी के नाम पर है और ग्राम दादरखुर्द में स्थित है।

        उनके साथ जमीन बिक्री के लिए 16 लाख 50 हजार रुपए में सौदा हुआ और जमीन की रजिस्ट्री करा दी गई। तद्पश्चात नामांतरण के दौरान जगदीश मिश्रा को पता चला कि उक्त जमीन उनके नाम पर नहीं है। इस तरह धोखाधड़ी होने का पता चलने पर जब रुपए वापस मांगे, तो उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा की उसके साथ मारपीट करते हुए धमकी भी दी गई। प्रा​र्थी जगदीश मिश्रा की शिकायत पर पुलिस ने कथित आरोपी सुरेशचंद्र तिवारी व उनकी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज कर प्रकरण न्यायालय में पेश किया था। मामले की सुनवाई न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी सत्यानंद प्रसाद के न्यायालय में हुई, जहां शासन की ओर से डीपीओ एस.के. मिश्रा ने पैरवी की।

        सुनवाई के दौरान कथित आरोपी दंपत्ति पर दोष सिद्ध हो गया। इस पर न्यायालय ने आरोपी दंपत्ति को 3-3 वर्ष के कठोर कारावास और 10-10 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं आरोपियों के कृत्य के कारण प्रार्थी जगदीश मिश्रा को हुई हानि पर 16 लाख 50 हजार रुपए व 2016 से उस पर 6 प्रतिशत के साधारण ब्याज के हिसाब से कुल 25.5 लाख रुपए 3 माह के भीतर अदा करने का आदेश दिया। भुगतान नहीं करने पर उसकी वसूली जुर्माने की वसूली की तरह करने का उल्लेख है।

 

 

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