Nag Panchami 2025: नाग पंचमी की विशेष पूजा से मिलेगी संकटों से मुक्ति, मिटेगा दोष

नाग पंचमी पर करें नाग देवता की पूजा, मिलेगी सुरक्षा और दोषों से मुक्ति
नाग पंचमी की विशेष पूजा से मिलेगी संकटों से मुक्ति, मिटेगा दोष

नई दिल्ली:  सनातन धर्म में नाग पंचमी का पर्व विशेष धार्मिक महत्व रखता है। सावन मास में भगवान शिव के प्रिय नाग देवता को समर्पित यह पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और कालसर्प जैसे दोषों का भी निवारण होता है।

इस दिन पूजन करने से महादेव के साथ ही भोलेनाथ की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है और नाग से संबंधित कोई प्रकोप नहीं रहता।

यह पर्व भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और सुरक्षा का भी प्रतीक है।

दृक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष नाग पंचमी 29 जुलाई, मंगलवार को मनाई जाएगी। पंचमी तिथि 28 जुलाई की रात 11:24 बजे शुरू होगी और 30 जुलाई की सुबह 12:46 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर यह पर्व 29 जुलाई को मनाया जाएगा।

नाग पंचमी के दिन भक्त नाग देवताओं के प्रतिनिधि के रूप में जीवित सर्पों की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में सर्पों को पूजनीय माना गया है, और नाग पंचमी के दिन विशेष रूप से बारह नाग देवताओं, जिनमें अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कम्बल, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक और पिंगल की पूजा की जाती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग देवता की पूजा से भक्तों को भय, रोग और ज्योतिषीय दोषों से मुक्ति मिलती है। यह पर्व सावन मास में भगवान शिव और उनके गले में विराजमान वासुकी नाग के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से परिवार की रक्षा होती है और सर्पदंश का भय भी दूर होता है।

धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा कैसे करनी चाहिए। इसके लिए सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर या नाग मंदिर में नाग देवता की मूर्ति या चित्र पर दूध, जल, फूल, चंदन, रोली और लावा के साथ गुड़ अर्पित करें। इसके बाद मीठी चीजों का भोग लगाएं। बारह नाग देवताओं के मंत्रों का जाप करें।

पूजन के समय मंत्र- 'सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले। ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः। ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः। ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः पढ़ने के बाद नाग देवता का ध्यान करना चाहिए। मंत्र का अर्थ है, इस संसार में आकाश, स्वर्ग, झीलें, कुएं, तालाब तथा सूर्य-किरणों में निवास करने वाले सर्प, हमें आशीर्वाद दें तथा हम सभी आपको बारम्बार नमन करते हैं।

पूजन के बाद नाग को दूध चढ़ाने की परंपरा है। पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

पूजन के बाद घर के द्वार पर नाग देव की तस्वीर लगाएं, और दूध-लावा चढ़ाने की भी परंपरा है।

 

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