Indian Railways Multi Tracking: नई रेलवे परियोजनाओं से कनेक्टिविटी में होगा सुधार : पीएम मोदी

कोडरमा-बरकाकाना और बल्लारी-चिकजाजुर रेल लाइन दोहरीकरण को मिली मंजूरी, लाखों को होगा लाभ।
नई रेलवे परियोजनाओं से कनेक्टिविटी में होगा सुधार : पीएम मोदी

नई दिल्ली: पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने भारतीय रेलवे नेटवर्क में दो मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिसमें 6,405 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। इसको लेकर पीएम मोदी ने भरोसा जताया कि इससे कनेक्टिविटी और व्यापार में सुधार होगा। इसके अलावा स्थिरता को भी बढ़ावा मिलेगा।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री ने कहा, "आज रेलवे से संबंधित दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। विभिन्न राज्यों को कवर करने वाली ये परियोजनाएं कनेक्टिविटी, वाणिज्य में सुधार करेंगी और स्थिरता को भी बढ़ावा देंगी।"

 

पहली परियोजना 133 किलोमीटर लंबी कोडरमा-बरकाकाना रेलवे लाइन के दोहरीकरण से संबंधित है, जो झारखंड के एक प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र से होकर गुजरती है। यह पटना और रांची के बीच सबसे छोटी और अधिक कुशल रेल लिंक के रूप में भी काम करती है। दूसरी परियोजना में 185 किलोमीटर लंबी बल्लारी-चिकजाजुर रेलवे लाइन का दोहरीकरण शामिल है, जो कर्नाटक के बल्लारी और चित्रदुर्ग जिलों और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से होकर गुजरती है।

 

कोडरमा-बरकाकाना (अरगड़ा) के बीच रेलवे लाइन दोहरीकरण की इस परियोजना के धरातल पर उतरने से झारखंड में कोडरमा, चतरा, हजारीबाग और रामगढ़ जिलों की कनेक्टिविटी बढ़ेगी ही, बिहार की राजधानी पटना और झारखंड की राजधानी रांची के बीच रेल यातायात की सुविधाओं में विस्तार होगा।

 

रेल मंत्री ने बताया कि यह ट्रैक न केवल झारखंड के एक प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र से होकर गुजरता है, बल्कि पटना एवं रांची के बीच का सबसे छोटा और अधिक सक्षम रेल संपर्क मार्ग भी है। इस परियोजना से 938 गांवों की 15 लाख आबादी लाभान्वित होगी। इस परियोजना में कुल 17 बड़े पुल, 180 छोटे पुल, 42 आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) और 13 आरयूबी (रेलवे अंडर ब्रिज) शामिल हैं।

 

रेल मंत्री ने कहा कि इस मार्ग से अतिरिक्त 30.4 मिलियन टन माल की ढुलाई संभव हो पाएगी। ऐसा होने से पर्यावरण को फायदा होगा। इतने माल की ढुलाई सड़क मार्ग से होने पर सालाना 32 करोड़ लीटर डीजल की खपत होती। इसकी बचत से वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में जो कमी आएगी, वह 7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।

 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कई जिलों से होकर गुजरने वाली 185 किलोमीटर लंबे बल्लारी-चिकजाजुर ट्रैक के दोहरीकरण की परियोजना को भी मंजूरी दी है, जिसकी लागत 3,342 करोड़ रुपए है।

 

 

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