नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इमरजेंसी के 50 साल होने पर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने इमरजेंसी के नाम पर संविधान की हत्या का आरोप लगाया और कहा कि यह भारत के इतिहास का एक दर्दनाक अध्याय था।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "संविधान हत्या दिवस पर हम स्वतंत्र भारत के इतिहास के एक दर्दनाक अध्याय को याद करते हैं, जब संस्थाओं को कमजोर किया गया, अधिकारों को निलंबित कर दिया गया और जवाबदेही को दरकिनार कर दिया गया। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी की भी याद दिलाता है कि हमें संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करनी है और भारतीय लोकतंत्र की मजबूती को बनाए रखना है।"
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इमरजेंसी के दौर को याद किया और गांधी परिवार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "25 जून 1975 को देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत में आपातकाल लगाया था, जो लोकतंत्र का उल्लंघन था। भारतीय जनता पार्टी इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाती है।"
उन्होंने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी महाराष्ट्र चुनाव को लेकर जिस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, उनके बयानों को कोई भी व्यक्ति गंभीरता से नहीं लेता है। वह देश की एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता हैं, लेकिन उनके बोलने का कोई वजन नहीं है।"
भाजपा सांसद अनिल बलूनी ने इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ पर कहा, "आज से ठीक 50 साल पहले विपक्ष की आवाज को कुचल दिया गया, अभिव्यक्ति की आजादी को सेंसरशिप की जंजीरों में जकड़ दिया गया और देशवासियों के अधिकार छीन लिए गए व लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया। सिर्फ सत्ता की खातिर 25 जून, 1975 को देश पर इमरजेंसी थोपी गई।"
देश में इमरजेंसी के 50 साल पूरे हो गए हैं और इस दिन को भाजपा ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मना रही है। इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई नेताओं ने बयान दिया। उन्होंने इमरजेंसी को भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया।