अमृतसर: जून 1984 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा श्री अकाल तख्त साहिब और सचखंड श्री हरमंदिर साहिब पर की गई सैन्य कार्रवाई के दौरान क्षतिग्रस्त हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप के दर्शन के लिए सिख संगत में भारी उत्साह देखा गया। यह जख्मी स्वरूप शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा गुरुद्वारा शहीद गंज बाबा गुरबख्श सिंह जी में संगत के दर्शन के लिए रखा गया है।
श्रद्धालु 6 जून तक प्रतिदिन सुबह से शाम तक इस पवित्र स्वरूप के दर्शन कर सकेंगे।
इस स्वरूप के साथ-साथ उसमें लगी गोली भी प्रदर्शित की जा रही है, जो 1984 की भयावहता को दर्शाती है। इसके अलावा, श्री अकाल तख्त साहिब की क्षतिग्रस्त इमारत का मॉडल भी संगत के लिए रखा गया है।
इस पवित्र स्वरूप को सजाने की सेवा सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के प्रमुख ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी रघुबीर सिंह और ज्ञानी केवल सिंह ने निभाई।
ज्ञानी केवल सिंह ने संगत को इस स्वरूप के ऐतिहासिक महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, "यह जख्मी स्वरूप सिख समुदाय पर हुए अत्याचारों की जीवंत तस्वीर है। इसे देखकर हर सिख का दिल दुख से भर जाता है।"
श्री हरमंदिर साहिब के मैनेजर भगवंत सिंह ढेंघेरा ने कहा कि जून 1984 का सैन्य हमला सिख कौम के लिए एक भुलाया न जाने वाला जख्म है।
उन्होंने कहा, "41 साल बाद भी सिखों के जख्म ताजा हैं। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के इस बर्बर कृत्य को न तो भुलाया जा सकता है और न ही इसके दोषियों को माफ किया जा सकता है।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि नई पीढ़ी को इस अत्याचार के बारे में जागरूक करना जरूरी है। इसलिए, हर साल घल्लूघारा सप्ताह के दौरान इस जख्मी स्वरूप के दर्शन कराए जाते हैं।
उन्होंने सभी गुरुद्वारों से अपील की कि वे घल्लूघारा सप्ताह में गुरमत समागम आयोजित करें, ताकि शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाए और संगत को इतिहास की जानकारी मिले।
इस अवसर पर सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के हजूरी रागी जत्थों ने गुरबाणी कीर्तन किया, जबकि भाई प्रेम सिंह ने अरदास की। संगत ने इस आयोजन को सिख इतिहास और विरासत के प्रति सम्मान का प्रतीक बताया।