झारखंड शराब घोटाले में सीबीआई जांच, छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के खिलाफ खुलासा

झारखंड शराब घोटाले की CBI जांच शुरू, छत्तीसगढ़ के अधिकारियों की संलिप्तता उजागर
CBI inquiry Jharkhand liquor scam

रायपुर: झारखंड शराब नीति घोटाले की जांच अब सीबीआई के हाथ में होगी, और छत्तीसगढ़ सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की सिफारिश के नोटिफिकेशन को मंजूरी दे दी है। इस जांच से न केवल झारखंड, बल्कि छत्तीसगढ़ में भी कई उच्च पदस्थ अधिकारियों के लिए मुसीबत बढ़ सकती है। इनमें नामचीन अधिकारी जैसे अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर, झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेन्द्र सिंह शामिल हैं। यह घोटाला छत्तीसगढ़ और झारखंड में एक जैसे ही पैटर्न पर हुआ था। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण इकाई) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने पहले छत्तीसगढ़ में जांच शुरू की थी, जिसमें झारखंड के अधिकारियों के साथ सांठगांठ का पता चला।

 इसके तहत झारखंड की आबकारी नीति में साजिश के तहत बदलाव किए गए थे और इसके बाद शराब के ठेके व लाइसेंस सिंडिकेट के लोगों को सौंपे गए थे। यह घोटाला 2019 के आस-पास हुआ था, जब झारखंड सरकार द्वारा सहयोग न मिलने के कारण ईओडब्ल्यू एसीबी की जांच में बाधाएं आई थीं। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ एसीबी-ईओडब्ल्यू ने 7 सितंबर 2023 को एफआईआर दर्ज की, जिसमें झारखंड के पूर्व आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और गजेन्द्र सिंह पर धोखाधड़ी और आपरा्धिक षड्यंत्र की धाराओं में आरोप लगाए गए थे। इस घोटाले में झारखंड में देशी और विदेशी शराब के ठेके में गड़बड़ी की गई। सिंडिकेट के सदस्यों ने बेहिसाब डुप्लीकेट होलोग्राम से देशी शराब की बिक्री की, और विदेशी शराब सप्लाई को एफ.एल.10 ए लाइसेंस के तहत अपनी कंपनियों को दे दिया। इसके बदले कई करोड़ों का अवैध कमीशन लिया गया, जिससे झारखंड सरकार को भारी नुकसान हुआ और इस पैसे की अवैध कमाई की गई।

अब सीबीआई की जांच में घोटाले के सारे तथ्यों की गहराई से जांच होगी, और यह जांच उन अफसरों तक पहुंच सकती है, जिनके छत्तीसगढ़ में भी संपर्क थे। इस घोटाले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी रहे विनय कुमार चौबे और गजेन्द्र सिंह के नाम भी सामने आए हैं। सीबीआई की जांच अब यह स्पष्ट करेगी कि छत्तीसगढ़ और झारखंड के आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से कितने करोड़ों की अवैध कमाई की गई और राज्य सरकारों को कितना नुकसान हुआ। इस घोटाले में शामिल अधिकारियों की मुसीबतें बढ़ सकती हैं, और इससे नये नाम भी सामने आ सकते हैं। अब देखना यह है कि सीबीआई इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई करती है और घोटालेबाजों को कानूनी शिकंजे में लाती है।

 

 

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