नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के कैप्टन अशोक राव ने गुरुवार को देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत की कमान संभाल ली। उन्होंने कमोडोर बीरेंद्र एस. बैंस से यह जिम्मेदारी ली है।
नौसेना के मुताबिक, अब यह जिम्मेदारी संभालने वाले कैप्टन अशोक राव नौसेना पदक से सम्मानित अधिकारी हैं।
नौसेना ने बताया कि कैप्टन राव नौसेना अकादमी के 52वें कोर्स के पूर्व छात्र हैं और उनके पास युद्धपोत संचालन का समृद्ध अनुभव है। उन्होंने पहले आईएनएस विशाखापत्तनम, आईएनएस कोरा और आईएनएस निशंक जैसे प्रमुख युद्धपोतों की भी कमान संभाली है। इसके अलावा, वह कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग में रक्षा सलाहकार के रूप में भी सेवा दे चुके हैं।
आईएनएस विक्रांत की कमान संभालना कैप्टन राव के लिए एक प्रतिष्ठित उपलब्धि है, जो भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भरता और तकनीकी शक्ति का प्रतीक है। आईएनएस विक्रांत की यह नई नेतृत्व पारी भारतीय समुद्री सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ बनाएगी।
गौरतलब है कि बीते सप्ताह ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर गए थे और नौसेना के अधिकारियों से बात की। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान आईएनएस विक्रांत पूरे कैरियर बैटल ग्रुप के तौर पर नॉर्दर्न अरब सागर में तैनात था। आईएनएस विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर में फाइटर जेट और हेलिकॉप्टर दोनों हैं। इस भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर पर 30 से ज्यादा एयरक्राफ्ट आ सकते हैं। कैरियर बैटल ग्रुप में एयरक्राफ्ट कैरियर के चारों तरफ सबमरीन भी होती हैं। इतना ही नहीं, कई वॉरशिप भी इसका हिस्सा होते हैं।
आईएनएस विक्रांत की अनुमानित लागत लगभग 20 हजार करोड़ रुपए है। इसे भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है। इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड, कोच्चि में किया गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते शुक्रवार आईएनएस विक्रांत पर अपनी मौजूदगी के दौरान कहा था कि 1971 इसका गवाह है कि जब भारतीय नौसेना हरकत में आई थी, तो पाकिस्तान एक से दो हो गया था। अगर 'ऑपरेशन सिंदूर' में भारतीय नौसेना अपने फॉर्म में आई होती, तो पाकिस्तान के दो ही नहीं, शायद चार टुकड़े हो जाते। रक्षा मंत्री ने शुक्रवार को गोवा के तट से कुछ ही दूरी पर आईएनएस विक्रांत पर यह बात कही थी। उन्होंने कहा था कि हमारी फोर्स की फॉरवर्ड तैनाती के साथ-साथ विक्रांत कैरियर बैटल ग्रुप की फोर्स प्रोजेक्शन ने भी हमारे इरादे और क्षमता का प्रभावी संकेत दिया।
रक्षा मंत्री ने कहा था कि पाकिस्तान के लिए आईएनएस विक्रांत की तैयारी मात्र ही बहुत थी, एक्शन की जरूरत ही नहीं पड़ी। पाकिस्तान ने भारतीय नौसेना की प्रचंड शक्ति, उसकी सैन्य सूझबूझ और विध्वंसक क्षमताओं को न सिर्फ महसूस किया, बल्कि वह उससे भयभीत भी हुआ।