नई दिल्ली: पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर और पीएम शाहबाज शरीफ की गलत नीतियों का खामियाजा आज पूरा पाकिस्तान भुगत रहा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर ऐसा जख्म दिया है, जिसे वह दशकों तक नहीं भूला पाएगा। वहीं, बलूचिस्तान प्रांत के लोग भी अब अत्याचार के खिलाफ खड़े हो गए हैं। बलूच विद्रोहियों ने हाल ही में ऐसी घटनाओं और अटैक को अंजाम दिया है, जिससे पूरा पाकिस्तान थर्रा गया है। बचूल लोगों ने बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग बताते हुए खुद को अलग देश घोषित कर दिया है। वहां के नेताओं का कहना है कि वे अब पाकिस्तान के साथ नहीं रह सकते हैं और बलूचिस्तान अब स्वतंत्र राष्ट्र है। इसके साथ ही बलूचों ने भारत और संयुक्त राष्ट्र से कहा कि बलूचिस्तान को एक अलग देश का दर्जा दिया जाए। यदि ऐसा होता है तो भारत लाखों करोड़ों हिन्दुओं का सपना साकार हो जाएगा।
बलूचों द्वारा आए दिन पाक सरकार को चेतावनी दी जा रही है, उससे साफ है कि अलग राष्ट्र की मांग ने जोर पकड़ लिया और वह इसे लेकर ही रहेंगे। अगर बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश बन जाता है, तो देश के हिंदुओं के लिए दो बड़े और ऐतिहासिक मंदिरों के द्वार खुल जाएंगे। हिंगलाज माता मंदिर और कटासराज मंदिर। जिस तरह से भारतीय सिख समुदाय के लिए करतारपुर कॉरिडोर बनाया गया और गुरुद्वारा दरबार साहिब तक पहुंच आसान हुई, ठीक उसी तरह से हिंगलाज माता और कटासराज मंदिर के द्वार भारतीय हिंदू के लिए खुल सकते हैं।
यह मंदिर भारत के हिंदुओं के लिए खास है, जहां बहुत कम भारतीय पहुंचते हैं। हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासबेला जिले में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे हिंगलाज शक्तिपीठ भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव माता सती के शव को लेकर विचरण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े किए और जहां-जहां ये गिरे वहां शक्तिपीठ बने। हिंगलाज वह स्थान है जहां माता सती का मस्तक गिरा था। यह मंदिर हिंगोल नदी के किनारे स्थित है और चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा है। यहां की देवी को ‘हिंगलाज देवी’ या ‘नानी मां’ के नाम से जाना जाता है, खासकर सिंधी और बलूच हिंदू समुदायों में इसका विशेष महत्व है।
इस स्थान की विशेषता यह भी है कि यहां मुस्लिम समुदाय के लोग भी आस्था रखते हैं और देवी को ‘नानी पीर’ के रूप में मानते हैं। हिंगलाज यात्रा एक कठिन, लेकिन आध्यात्मिक रूप से अहम मानी जाती है। इसे ‘हिंगलाज तीर्थयात्रा’ भी कहा जाता है। इसके साथ ही पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल में स्थित कटासराज शिव मंदिर भी काफी पुराना है। यहां भारत-पाकिस्तान तनातनी की वजह से हिंदुओं की पहुंच न के बराबर है, जो बलूचिस्तान के बनने से यहां तक भारतीय हिंदू दर्शन करने जा सकेंगे। कटासराज शिव मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित है। यह मंदिर एक मंदिर-समूह का हिस्सा है, जिसमें कई अन्य छोटे मंदिर भी शामिल हैं। कटासराज मंदिर की विशेषता यहां स्थित पवित्र सरोवर है, जिसे कटास कुंड कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह सरोवर भगवान शिव के आंसुओं से बना है, जब उन्होंने अपनी पत्नी सती के वियोग में विलाप किया था।
कटासराज मंदिर प्राचीन काल में हिंदू धर्म के शिक्षा और दर्शन के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जाना जाता था। कहा जाता है कि पांडव अपने वनवास के दौरान यहां कुछ समय रुके थे। यह भी माना जाता है कि महान दार्शनिक और विद्वान आदि शंकराचार्य ने यहां दर्शन का प्रचार-प्रसार किया था। कटासराज मंदिर परिसर का वास्तुशिल्प हिंदू-बौद्ध शैली का अद्भुत उदाहरण है। हालांकि, विभाजन के बाद इस मंदिर में पूजा कम हो गई। हालांकि, यह आज भी पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए एक तीर्थस्थल है।