Operation Sindoor: सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्व सेनाध्यक्षों संग राष्ट्रपति से की मुलाकात

जनरल द्विवेदी व पूर्व सेना प्रमुखों ने राष्ट्रपति से की भेंट, 'ऑपरेशन सिंदूर' रहा केंद्र में।
सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्व सेनाध्यक्षों संग राष्ट्रपति से की मुलाकात

नई दिल्ली: थलसेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल वी.पी. मलिक, जनरल एन.सी. विज, जनरल जे.जे. सिंह, जनरल दीपक कपूर, जनरल बिक्रम सिंह और जनरल मनोज पांडे के साथ बुधवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भेंट की।

जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और पूर्व सेना प्रमुखों के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया गया है। गौरतलब है कि नई दिल्ली में ‘चीफ्स चिंतन’ नामक एक विशेष संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम मंगलवार को शुरू हुआ था। नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और पूर्व सेना प्रमुखों के बीच गहन विचार-विमर्श हुआ।

सेना के मुताबिक, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आयोजित इस संवाद का उद्देश्य पूर्व सेनाध्यक्षों के विशाल अनुभव और रणनीतिक दृष्टिकोण का लाभ उठाते हुए भारतीय सेना के भविष्य को दिशा देना था। कार्यक्रम का मुख्य फोकस ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विस्तृत प्रस्तुति रही, जिसमें संयुक्त अभियानों और रणनीतिक प्रभाव को रेखांकित किया गया। यहां पूर्व सेना प्रमुखों ने अपनी अमूल्य अंतर्दृष्टि और सुझाव साझा किए। ये सुझाव सेना की क्षमता संवर्धन और संगठनात्मक सुधारों में योगदान देंगे।

गौरतलब है कि यह कार्यक्रम वर्तमान और पूर्व नेतृत्व की सामूहिक प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना भविष्य की चुनौतियों के लिए पूर्णत: तैयार रहे। यहां भारतीय सेना के पूर्व सेना प्रमुखों के साथ ’ऑपरेशन सिंदूर’ की ऑपरेशनल जानकारी साझा की गई।

दरअसल, यह भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और पूर्व सेना प्रमुखों के बीच एक संरचित संवाद कार्यक्रम था। 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य पूर्व सेना प्रमुखों के संस्थागत ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना था। ऐसा करने से भारतीय सेना के भविष्य के दृष्टिकोण और सेना में होने वाले बदलावों को और अधिक सुदृढ़ किया जा सकेगा। जनरल द्विवेदी ने पूर्व सेना प्रमुखों का स्वागत किया और इस बात पर बल दिया कि भारतीय सेना के परिवर्तन और दिशा निर्धारण में उनकी सतत भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 

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