नई दिल्ली: मिठाई के रूप में दुकानों पर बेची जा रही जलेबी से तो सभी परिचित हैं। लेकिन क्या आने कभी सुना है कि जलेबी पेड़ पर भी उगती है। मतलब जलेबी के भी पेड़ होते हैं और इसका स्वाद भी मीठी चीनी की चासनी में लिपटी जलेबी से कुछ कम नहीं होती। यह जलेबी केवल स्वाद के लिए ही नहीं जानी जाती बल्कि इसके अंदर सेहत का खजाना भी छुपा हुआ है। इसको जंगल जलेबी के नाम से जाना जाता है।
जंगल जलेबी एक स्वादिष्ट फल है, जिसे देश के अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जंगल जलेबी को गंगा इमली, मद्रास थॉर्न या किकर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक मीठा और पौष्टिक फल है जो भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के कई क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे जंगल जलेबी इसलिए कहते हैं जंगल में उगने और जलेबी की तरह गोल होने की वजह से इसे जंगल जलेबी कहते हैं। तासीर में यह फल ठंडा होता है और यही वजह है कि गर्मी के दिनों में इसका उपयोग आपको शीतलता प्रदान करता है।
जंगल जलेबी एक कांटेदार पेड़ होता है, इसमें बेलनाकार फल लगते हैं जो जलेबी जैसे मुड़े हुए होते हैं। इसका स्वाद खट्ठा-मीठा होता है। यही वजह है कि यह फल बच्चों और खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है।
जंगल जलेबी का आयुर्देविक दृष्टि से भी काफी महत्व है। यह फल खांसी और दमा में लाभकारी होता है। सूजन, त्वचा रोग व मधुमेह में भी इसे उपयोगी माना गया है।
जंगल जलेबी का फल पाचन में सुधार करने के साथ-साथ खून को भी साफ करता है।
इसके बीज कब्जनाशक होते हैं और पेट के कीड़ों को नष्ट करते हैं। वहीं दांतों और मसूड़ों के रोगों में इसके छाल उपयोगी होते हैं। त्वचा रोग में लेप और काढ़ा दोनों रूपों इसकी पत्तियां उपयोगी होती हैं।
जंगल जलेबी के फल को कच्चा खाया जा सकता है या फिर सुखाकर चूर्ण बनाकर भी इसे खाया जा सकता है। वहीं इसके बीज को चूर्ण बनाकर शहद के साथ खाया जा सकता है।
दस्त व खांसी में इसके छाल का काढ़ा दिन में 2 बार लिया जा सकता है। ग्रामीण भारत में जंगल जलेबी को औषधीय पौधे के साथ-साथ बच्चों के लिए प्राकृतिक टॉफी के रुप में भी जाना जाता है। इसके फल न सिर्फ स्वाद में शानदार होते हैं, बल्कि पेट की गर्मी को शांत करने में भी मददगार होते हैं।
--आईएएनएस