योग भारतीय संस्कृति की आत्मा, कट्टरता से नहीं मानवता से जोड़ता है: आचार्य प्रमोद कृष्णम

संभल, 21 जून (आईएएनएस)। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के 11वें संस्करण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन लाख से अधिक लोगों के साथ योग कर एक नया कीर्तिमान रच दिया। इस अवसर पर संभल स्थित कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत की।

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “योग भारतीय सनातन संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और आज पूरी दुनिया इसे अपना रही है। यूरोप, अमेरिका और एशिया में भी लोग योग कर रहे हैं। इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है, जिन्होंने भारतीय संस्कृति, सभ्यता और सनातन परंपराओं को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया है।”

उन्होंने सभी को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की बधाई दी और कहा कि 21 जून को यह दिन घोषित होने का श्रेय भी प्रधानमंत्री को जाता है।

ईरान के युद्ध क्षेत्र से भारतीयों की वापसी पर प्रतिक्रिया देते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “भारत आज वैश्विक मंच पर एक निर्णायक शक्ति बन चुका है। ऑपरेशन सिंधु इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। भारत सरकार ने जिस साहसिक निर्णय से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला, वह पाकिस्तान जैसे देशों को एक मजबूत संदेश है। सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है।”

कांग्रेस विधायक बी.आर. पाटिल द्वारा कर्नाटक में रिश्वत लेकर मकान आवंटन का आरोप लगाए जाने पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “इसका जवाब राहुल गांधी को देना चाहिए क्योंकि कर्नाटक में उन्हीं की पार्टी की सरकार है। मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता।”

तेजस्वी यादव द्वारा सरकार पर उनके विजन की नकल करने के आरोप को खारिज करते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम बोले, “विपक्ष के पास केवल आरोप हैं, विजन नहीं। अगर तेजस्वी यादव के पास सच में कोई विजन होता, तो बिहार की हालत ऐसी नहीं होती। जब कुछ है ही नहीं तो कोई क्या चुराएगा? विपक्ष को पहले खुद अपनी दिशा तय करनी चाहिए।”

बद्रे आलम द्वारा योग को मुसलमानों पर थोपे जाने के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “जो लोग योग को हिंदू और मुसलमान के नजरिये से देखते हैं, वे ना तो सच्चे हिंदू हैं, ना सच्चे मुसलमान। वे केवल कट्टरपंथी हैं, और किसी भी प्रकार की कट्टरता देश और मानवता के लिए हानिकारक है। योग सबका है, जैसे परमात्मा सबका है। योग हिंदू का भी है, मुसलमान का भी है, यहूदी और ईसाई का भी। यह जोड़ने वाला माध्यम है, तोड़ने वाला नहीं।”

--आईएएनएस

डीएससी/एबीएम

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