World Suicide Prevention Day : चुप्पी तोड़ने और उम्मीद जगाने का दिन

हर 43 सेकंड में एक आत्महत्या, विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर बढ़ा जागरूकता संदेश
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस : चुप्पी तोड़ने और उम्मीद जगाने का दिन

नई दिल्ली: अगर आपको इस आर्टिकल को पढ़ने में पांच मिनट लगते हैं, तो इस दौरान दुनियाभर में कम से कम सात लोगों ने आत्महत्या जैसे रास्ते को चुन लिया होगा। यह हम नहीं कह रहे हैं। आत्महत्या जोखिम से जुड़े एक वैश्विक आकलन के मुताबिक, हर 43 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है, और यह सबसे अधिक संभावना है कि वह पुरुष हो।

रिसर्चर्स ने द लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा किया कि आत्महत्या के कारण पुरुषों की मृत्यु दर महिलाओं की तुलना में दोगुनी है। यहां तक कि आत्महत्या के कारण उनकी मृत्यु की संभावना तीन गुना अधिक है।

दूसरी तरफ, हर साल 10 सितंबर को पूरी दुनिया में 'विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (आईएएसपी) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर की थी।

इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया को यह संदेश देना है कि आत्महत्या को रोका जा सकता है और इसके लिए समाज, परिवार, सरकार और हर व्यक्ति को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी।

आत्महत्या आज एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बन गई है। हर साल लाखों लोग आत्महत्या कर अपनी जान गंवा देते हैं। अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है, तो यह केवल व्यक्तिगत नुकसान नहीं होता। यह परिवार, दोस्तों, कार्यस्थलों और पूरे समाज पर गहरा सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक असर डालता है।

इन दिन को मनाने की वजह एक खुली बातचीत को प्रोत्साहित करना है, जिसमें लोग बिना झिझक अपनी पीड़ा दूसरों के साथ साझा कर सकें। यह विषय केवल सामाजिक सोच बदलने की बात नहीं करता बल्कि नीतिगत बदलाव की भी मांग करता है, ताकि आत्महत्या रोकथाम को सार्वजनिक नीति में प्राथमिकता दी जा सके, गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों, और संकटग्रस्त व्यक्तियों तक समय पर मदद पहुंच सके।

आत्महत्या रोकथाम जागरूकता का प्रतीक 2016 में लॉन्च किया गया पीले और नारंगी रंग का रिबन है। यह रिबन मोमबत्ती की लौ का प्रतीक है और अंधेरे से प्रकाश की ओर बढ़ने का संदेश देता है। सोशल मीडिया पर इसके साथ जुड़ी मुहिमों ने करोड़ों लोगों तक आत्महत्या रोकथाम का संदेश पहुंचाया है।

भारत में आत्महत्या के कई कारण हैं, जिनमें पारिवारिक समस्याएं, बीमारियां और आर्थिक संकट प्रमुख हैं। इसके अलावा दहेज, तलाक, विवाह संबंधी तनाव, अवांछित गर्भधारण, विवाहेतर संबंध और सामाजिक दबाव भी बड़ी वजहें हैं। घरेलू हिंसा का आत्मघाती विचारधारा से गहरा संबंध पाया गया है और किसानों की आत्महत्याओं ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट 'आत्महत्या रोकथाम: एक वैश्विक अनिवार्यता' यह मानती है कि विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस ने जागरूकता बढ़ाने और कलंक को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है। आज 60 से अधिक देशों में यह दिन सैकड़ों कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है और यह दिन अब वैश्विक स्तर पर आत्महत्या रोकथाम का प्रतीक बन चुका है।

 

 

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