Child Rights Awareness : विश्व बाल दिवस पर बच्चों ने खुलकर कही अपनी बात

विश्व बाल दिवस पर यूनिसेफ कार्यक्रम में बच्चों ने अपने अधिकार और चिंताएँ बेझिझक साझा कीं
मध्य प्रदेश: विश्व बाल दिवस पर बच्चों ने खुलकर कही अपनी बात

भोपाल: आमतौर पर बच्चों को न तो खुलकर अपनी बात कहने का मौका मिलता है और न ही उन्हें सुना जाता है, मगर 20 नवंबर का दिन ऐसा रहा जब बच्चों ने अपनी बात न केवल खुलकर कही बल्कि वयस्कों ने उसे सुना भी। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में विश्व बाल दिवस के मौके पर यूनिसेफ कार्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 50 बच्चों और युवाओं ने भाग लिया था। इसमें भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्वयंसेवक और धार, झाबुआ और भोपाल के बच्चे शामिल थे।

विश्व बाल दिवस के मौके पर तय की गई थीम में से एक थीम 'मेरा दिन मेरे अधिकार' थी, जो बच्चों के जीवन को प्रभावित करने वाले फैसलों में उनकी आवाज सुनने और उसे प्राथमिकता देने के महत्व को रेखांकित करती है।

यूनिसेफ मध्य प्रदेश के मुख्य फील्ड कार्यालय (अतिरिक्त प्रभार) अनिल गुलाटी ने बच्चों और युवाओं के साथ बातचीत करते हुए कहा, "ऐसे मंचों की आवश्यकता है जो बच्चों को अपने लिए बोलने की अनुमति दें।" उन्होंने बच्चों से कहा कि आज का दिन आपके और आपकी आकांक्षाओं, आपकी चिंताओं और आपके अधिकारों के बारे में है। इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों को पांच टीमों में विभाजित किया गया और उन्हें उन परिवर्तनों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया जो वे अपने आसपास देखना चाहते हैं, वे व्यवहार जो शुरू होने चाहिए, और वे प्रथाएं जो समाप्त होनी चाहिए।

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के कैडेट लोकेंद्र गुर्जर ने अनुशासन और नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए सभी स्कूलों में एनसीसी और बीएसजी जैसे समूहों के महत्व की बात कही। भोपाल के 14 वर्षीय हरिओम ने तेजी से बढ़ती डिजिटल दुनिया के साथ तालमेल बिठाने में छात्रों की मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। एक अन्य बीएसजी कैडेट, पूजा, ने लिंग-आधारित भेदभाव को समाप्त करने और घर तथा समाज में लड़कों और लड़कियों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया।

पुष्पा यादव ने बताया कि कैसे अत्यधिक मोबाइल फोन का उपयोग बच्चों के सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है, जिससे वे अपने दोस्तों के साथ जुड़ने में कम इच्छुक होते हैं। बच्चे सुरक्षित और सहायक जगह पाकर खुश थे, जहां बड़ों ने उनके विचारों और भावनाओं को सुना और समझा। धार के बच्चों ने एक साधारण जल शोधन प्रणाली का प्रदर्शन किया, जिसका उपयोग बिना बिजली के किया जा सकता है।

--आईएएनएस

 

 

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