लखनऊ, 9 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल रविवार को उत्तराखंड राज्य के 25वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित ‘उत्तराखंड सांस्कृतिक महाकुंभ समारोह’ में मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल रूप से सम्मिलित हुईं। इस अवसर पर उन्हें ‘मां नन्दा देवी शिक्षा वीर सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
राज्यपाल ने कहा, “वंदे मातरम केवल शब्दों का संयोजन नहीं, यह हमारी आत्मा की धड़कन है, हमारी अस्मिता का प्रतीक और गौरवशाली विरासत का अमर आलोक है।” उन्होंने उत्तराखंड की रजत जयंती पर सभी उत्तराखंडवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में उत्तराखंड ने कृषि, पर्यटन, ग्रामीण उद्यम, बागवानी और जैविक खेती के क्षेत्र में देशभर में उल्लेखनीय प्रगति की है।”
समारोह में आईटीआईटीआई दून संस्कृति स्कूल की रजत जयंती लोगो तथा अटल बिहारी वाजपेयी शताब्दी शैक्षिक यात्रा लोगो का विमोचन किया गया। इस अवसर पर कर्नल सोफिया कुरैशी, वीर नांग सती मीन, और सीमावर्ती क्षेत्रों में जनजातीय बच्चों की शिक्षा के लिए कार्यरत महिला योद्धाओं को सम्मानित किया गया।
राज्यपाल ने कहा कि इन वीर नारियों की सफलता की कहानियां नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सिर्फ पर्वतों, नदियों और घाटियों का समूह नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक आत्मा का जीवंत स्वरूप है, जिसकी मिट्टी में तप भी है और तेज भी। उन्होंने कहा कि राजभवन उत्तर प्रदेश में ‘गंगोत्री से गंगासागर’ तक की प्रतीकात्मक प्रस्तुति के रूप में एक अद्भुत आस्था केंद्र का शिलान्यास किया गया है, जो बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की भावना को साकार करता है।
उन्होंने कहा, “हमें नदियों को केवल श्रद्धा से नहीं, बल्कि समझ और संरक्षण के भाव से देखना होगा, ताकि अपनी विरासत आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहे।” उन्होंने कहा कि मां की गोद जीवन का प्रथम विद्यालय है, जहां से संस्कार अंकुरित होते हैं। उन्होंने बताया कि राजभवन विद्यालय के बच्चों ने ‘स्मार्ट कार’, ‘सर्विंग रोबोट’, ‘वाई-फाई कार’ और ‘स्मार्ट गॉगल्स’ जैसे नवाचार कर नई मिसाल पेश की है।
आनंदीबेन ने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान नहीं, बल्कि चरित्र, संस्कार और राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करने वाली शक्ति है। जिस शिक्षा से संवेदना और उत्तरदायित्व की भावना न जागे, वह अधूरी है। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो संकल्प दिया है, उसे पूरा करने की जिम्मेदारी युवाओं की है। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम’ के 150 स्वर्णिम वर्ष पर यह गीत हमें त्याग, देशप्रेम और एकता का संदेश देता है।
भारतीय सेना की वीर महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी ने युवाओं से कहा, “जो युवा अपने समय, समझ और ऊर्जा का सही उपयोग करता है, वही भविष्य का निर्माता बनता है।” उन्होंने युवाओं को अनुशासन, आत्मनिर्भरता और सकारात्मक सोच अपनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना केवल एक सशस्त्र बल नहीं, बल्कि अनुशासन, साहस, संयम और सेवा की जीवित संस्था है। उन्होंने बच्चों और युवाओं से कहा कि वे जीवन में अनुशासन और संयम को अपनाएं, अपनी शिक्षा और कार्य के प्रति निष्ठावान रहें तथा सदैव देश का नाम रोशन करें।
कर्नल कुरैशी ने कहा कि आप एक ऐसे स्वर्णिम काल में जी रहे हैं, जहां अवसर अपार हैं। सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़िए, अगले 30 वर्षों का अपना विजन तय कीजिए और समय का सदुपयोग करिए। जो युवा अपने समय, समझ और ऊर्जा का सही उपयोग करता है, वही भविष्य का निर्माता बनता है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि एकता, आत्मनिर्भरता और नवाचार उनके जीवन के उद्देश्य होने चाहिए। सोशल मीडिया पर गलत खबरों का न तो प्रसार करें और न ही उन्हें आगे बढ़ाएं, क्योंकि इससे समाज में भ्रम फैलता है। युवाओं को अपना समय नकारात्मकता में व्यर्थ न गंवाकर, राष्ट्र निर्माण की दिशा में लगाना चाहिए।
--आईएएनएस
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