वाराणसी: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन काशी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मां कूष्मांडा के दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। इस दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा रूप की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि मां कूष्मांडा सृष्टि की आदिस्वरूपा हैं और ब्रह्मांड की रचना का प्रारंभ उन्होंने ही किया था। धर्मनगरी वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित प्राचीन मंदिर में मां कूष्मांडा विराजमान हैं।
सुबह मंगल आरती के बाद से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें मंदिर परिसर के बाहर लग गई थीं। हर कोई मां के दर्शन कर अपने दुखों से मुक्ति और जीवन में सुख, शांति व समृद्धि की कामना कर रहा था।
भक्तों का मानना है कि मां कूष्मांडा के दर्शन मात्र से सभी प्रकार की परेशानियों का अंत हो जाता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
मां कूष्मांडा के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए बताया कि यहां आकर उन्हें आंतरिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति हुई।
किरण मिश्रा ने बताया कि दर्शन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा, लेकिन मां के दर्शन होते ही सारी थकान दूर हो गई।
वहीं, जया देवी ने कहा कि वह हर साल नवरात्रि में मां के दर्शन करने आती हैं क्योंकि इससे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
एक अन्य श्रद्धालु रेनू मौर्य ने कहा कि मां के दर्शन से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और मन को शांति मिलती है।
मंदिर के पुजारी सोनू झा ने बताया कि नवरात्रि में मां कूष्मांडा की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने कहा कि यहां विशेष पूजा की व्यवस्था की जाती है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी कुंडली में ग्रह दोष होते हैं। मंदिर परिसर में देवी-देवताओं की उपस्थिति का विशेष महत्व है और मां के आशीर्वाद से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं।