विपक्ष को शिक्षा पर राजनीति नहीं करनी चाहिए : मनीषा कायंदे

मुंबई, 19 जून (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में नई शिक्षा नीति के तहत मराठी और अंग्रेजी बोर्ड के प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किए जाने पर विवाद जारी है। शिवसेना नेताओं ने गुरुवार को विपक्ष पर जानबूझकर इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया।

शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए विपक्ष से शिक्षा जैसे गंभीर विषयों पर राजनीति नहीं करने की अपील की। उन्होंने कहा, "किसी एक तरह से एजुकेशन सिस्टम नहीं चलता है। पिछले 25 सालों से यह नीति है, हमने त्रिभाषीय व्यवस्था को अपनाया है। जब पहले से ही स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाती थी। जब इतने सालों से किसी ने आपत्ति नहीं जताई तो आज अचानक क्यों? जहां तक शिक्षा का सवाल है, विपक्ष को इस पर राजनीति नहीं करना चाहिए।"

शिवसेना नेता शाइना एनसी ने कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह बहुत ही स्पष्ट है कि महाराष्ट्र में पहली भाषा मराठी है और यह हमेशा रहेगा। हमें अपनी मातृभाषा पर हमेशा से गर्व है। वहीं, दूसरी भाषा अंग्रेजी है, क्योंकि उसे विश्व ने स्वीकारा है। जबकि तीसरी भाषा हिंदी है। हमें ज्यादा से ज्यादा भाषाओं को सीखना चाहिए।"

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में भाषा पर जारी विवाद के बीच राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य में कक्षा 1 से 5 तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य किया है। महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को इस संबंध में आधिकारिक तौर पर आदेश जारी किया है।

सरकार ने यह साफ किया कि हिंदी तीसरी भाषा के रूप में सामान्य रूप से अध्ययन के लिए लागू की जाएगी। सरकार ने आदेश में कहा, "सभी माध्यमों के स्कूलों में मराठी अनिवार्य भाषा होगी। इस कार्यान्वयन की सभी व्यवस्थाएं शिक्षा विभाग की तरफ से की जाएंगी। मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के लिए हिंदी अब से तीसरी भाषा होगी।"

--आईएएनएस

एससीएच

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