जालंधर: पंजाब के जालंधर में भगवान वाल्मीकि के 'प्रगट दिवस' के उपलक्ष्य में सोमवार को भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शहर में सुबह रुक-रुककर हुई बारिश और बादल छाए रहने के बावजूद शोभायात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
डॉ. अंबेडकर चौक से निकाली गई इस शोभायात्रा में सांसद चरणजीत सिंह चन्नी भी शामिल हुए। उन्होंने भगवान वाल्मीकि को नमन किया और शहरवासियों को प्रगट दिवस की बधाई दी।
चन्नी ने कहा कि भगवान वाल्मीकि जी का प्रगट दिवस है। इसी के चलते शहर में शोभा यात्रा निकाली जा रही है। बाबा प्रगट नाथ और संगत नाथ के आशीर्वाद से यह शोभायात्रा निकाली गई, जो सामाजिक एकता का प्रतीक है।
शोभायात्रा के दौरान सांसद चन्नी ने हिंदू-मुस्लिम विवादों पर चिंता जताते हुए कहा कि पंजाब की धरती हमेशा से सांप्रदायिक सौहार्द के लिए जानी जाती है। उन्होंने महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि पंजाब में कभी भी धर्म के आधार पर विवाद नहीं हुआ। शरारती तत्वों के बहकावे में न आएं और शांति बनाए रखें।
उन्होंने कहा, "सभी धर्म परमात्मा तक पहुंचने के अलग-अलग रास्ते हैं, लेकिन इंसानियत एक है। सभी के खून का रंग लाल है।"
चरणजीत सिंह चन्नी ने आदमपुर के लापता नौजवान अरविंदर सिंह के मामले को उठाते हुए कहा कि उन्होंने विधायक सुखविंदर कोटली से बात की है और जल्द ही दिल्ली जाकर इस मामले में बातचीत करेंगे।
उन्होंने बरनाला के सैना गांव में पूर्व सरपंच के बेटे की हत्या पर गंभीर आरोप लगाए। चन्नी ने दावा किया कि मृतक राजनीतिक रूप से सक्रिय था और स्थानीय विधायक से उसका विवाद था।
उन्होंने इस हत्या की सीबीआई जांच की मांग की और विधायक व उनके परिवार के खिलाफ मामला दर्ज करने की बात कही।
चरणजीत सिंह चन्नी ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "पंजाब में पहले लालच दिया जाता है, फिर धमकी, फिर मुकदमा और आखिर में गोलियां चलती हैं।"
उन्होंने दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया के बयान का हवाला देते हुए कहा कि पंजाब में भी 'साम, दाम, दंड, भेद' की नीति अपनाई जा रही है।
सिद्धू मूसेवाला की हत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सुरक्षा हटाने के बाद ही यह घटना हुई थी।
किसानों के मुद्दे पर चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि पंजाब सरकार किसानों के साथ खिलवाड़ कर रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 20,000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजे का वादा किया, लेकिन एक भी किसान को यह राशि नहीं मिली। सरकार कहती थी कि खजाना भरा है, फिर केंद्र से पैसे क्यों मांगने पड़ रहे हैं?