विजयलक्ष्मी पंडित: जवाहरलाल नेहरू की बहन ने स्वतंत्रता आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

विजयलक्ष्मी पंडित: जवाहरलाल नेहरू की बहन ने स्वतंत्रता आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

नई दिल्ली, 30 नवंबर (आईएएनएस)। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की 1 दिसंबर को पुण्यतिथि है। विजय लक्ष्मी अपने जमाने के बेहद शक्तिशाली वकील मोतीलाल नेहरू की दूसरी संतान थीं। विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 में प्रयागराज (तब के इलाहाबाद) में हुआ था।

विजयलक्ष्मी पंडित अपने बड़े भाई जवाहरलाल के बेहद करीबी मानी जाती थीं। वह घर की बहुत लाड़ली थीं। शिक्षा की बात करें तो उन्होंने केवल 12वीं तक ही पढ़ाई की थी, जो एक प्राइवेट टीचर के माध्यम से पूरी की गई थी।

1921 में उन्होंने रंजीत सीताराम पंडित से शादी की थी। उनके पति एक स्वतंत्रता सेनानी थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनकी जेल में ही मृत्यु हो गई थी।

विजयलक्ष्मी गांधीजी से काफी प्रभावित थीं, जिसके चलते उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और इसके लिए कई बार जेल भी गईं।

उन्होंने अपने जीवन में हर भूमिका को बखूबी निभाया और अपनी अमिट छाप छोड़ी। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ी, और उनके लिए काम किया।

विजयलक्ष्मी पंडित 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनीं। संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला थीं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख संस्थापक सदस्य के तौर पर भूमिका निभाई।

विजयालक्ष्मी पंडिता को कोरियाई युद्ध को सुलझाने के लिए भी जाना जाता है। इसके साथ ही उन्होंने परमाणु आपदा को रोकने में भी अहम भूमिका निभाई। इसके लिए उन्होंने बट्रेंड रसेल और रॉबर्ट ओपेनहाइमर जैसे लोगों के साथ काम किया।

उनके राजनीतिक सफर की बात करें तो विजयलक्ष्मी पंडित 1937 में भारत की पहली महिला कैबिनेट मंत्री बनी थीं। इसके साथ ही उनको अखिल भारतीय महिला सम्मेलन का अध्यक्ष भी चुना गया था। इस पद पर रहकर उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद की।

इसके साथ ही उनको संयुक्त राष्ट्र और रूस में भारत की पहली राजदूत भी नियुक्त किया गया था। वह अमेरिका में भी भारत की पहली राजदूत बनी थीं। इसके अलावा उन्होंने मैक्सिको, आयरलैंड और स्पेन में भी भारतीय राजदूत की भूमिका निभाई।

वह विजयालक्ष्मी ही थीं, जिन्होंने लिंग भेद का विरोध किया और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में महिलाओं को शामिल करने पर जोर दिया।

विजयलक्ष्मी पंडित का निधन 1 दिसंबर 1990 को 90 वर्ष की उम्र में देहरादून में हुआ था। मृत्यु के समय वे सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले चुकी थीं।

--आईएएनएस

एमएस/डीकेपी

Related posts

Loading...

More from author

Loading...