उत्तर प्रदेश: भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में सजेगा सुर–लय–नृत्य का महासमागम

लखनऊ, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य परंपराओं के संरक्षण में अग्रणी भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर 18 से 20 दिसंबर तक भव्य त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगीत सम्मेलन एवं शताब्दी समारोह आयोजित कर रहा है। इस वर्षभर चलने वाले शताब्दी वर्ष का 'विकसित भारत 2047 के संदर्भ में भारतीय सांस्कृतिक कला परम्पराएं' केंद्रीय विषय होगा।

उद्घाटन दिवस 18 दिसंबर को शास्त्रीय संगीत की प्रमुख विभूति पद्मभूषण पं. साजन मिश्र अपनी गायकी से रसिकों को मंत्रमुग्ध करेंगे। शाम के सत्र में पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह के शिष्यों द्वारा नृत्य प्रस्तुति होगी। इसी दिन सरोद सम्राट उस्ताद अमजद अली खान अपने सुपुत्रों अयान और अमान अली बंगश के साथ सुरों का अद्भुत सुरताल रचेंगे।

कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने बताया कि 19 दिसंबर का प्रथम सत्र कथक कला को समर्पित होगा, जिसमें पं. राम मोहन महाराज, पं. जयकिशन महाराज, पं. दीपक महाराज और पं. त्रिभुवन महाराज विद्यार्थियों और कला-प्रेमियों को अपना मार्गदर्शन देंगे। अंतरराष्ट्रीय तबला वादक उस्ताद अकरम खान तबला लयकारी पर संवाद और मनोहारी एकल वादन प्रस्तुत करेंगे।

कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन ने बताया कि 19 दिसंबर की सायंकालीन प्रस्तुति में पद्मश्री प्रो. वामन केंद्रे निर्देशित नाटक “मोहे पिया” का मंचन होगा, जिसमें संस्कृत नाट्य परंपरा और आधुनिक रंगमंच का सुंदर संगम देखने को मिलेगा। 20 दिसंबर को पहले सत्र में तबला वादक संजू सहाय और पद्मश्री शोवना नारायण कथक–तबला संवाद के जरिए दर्शकों को एक अनोखी लयात्मक अनुभूति देंगे। अंतिम सत्र में पद्मश्री रंजना गौहर एवं उनकी शिष्याएं ओडिसी नृत्य की मोहक प्रस्तुति देंगी। समारोह का भव्य समापन पद्मश्री हरिहरन की सुरीली आवाज में गजलों और मधुर गीतों के साथ होगा।

कुलपति प्रो. सिंह ने बताया कि शताब्दी वर्ष के दौरान 2026 में विश्वविद्यालय मूर्तिकला, चित्रकला, लोक-कला और परफॉर्मिंग आर्ट्स से जुड़े अनेक कार्यक्रम भी आयोजित करेगा। कुलसचिव डॉ. धवन ने बताया कि शताब्दी अवसर पर विशेष कलावीथिका भी विकसित की जा रही है, जो विश्वविद्यालय की सौ वर्ष की कला विरासत और उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगी।

-- आईएएनएस

विकेटी/एएसएच

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