UP Education Ministe: यूपी विधानसभा के बाहर मंत्री ने छात्रों से की बात, संसदीय बारीकियों को समझाया

विधानसभा में छात्रों संग शिक्षा मंत्री संदीप सिंह की बेबाक चर्चा
यूपी विधानसभा के बाहर मंत्री ने छात्रों से की बात, संसदीय बारीकियों को समझाया

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर, वृन्दावन से विधानसभा पहुंचे छात्र बुधवार को उस समय गदगद हो उठे, जब बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने उनके सवालों का धैर्यपूर्वक और बेबाकी से जवाब दिया। विधानसभा की कार्यवाही और संसदीय बारीकियों से परिचित होने आए बच्चों की आंखों में भविष्य को लेकर गहरी जिज्ञासा थी, जबकि मंत्री संदीप सिंह के शब्दों में समाधान की स्पष्टता झलक रही थी। उनके सौम्य व्यवहार से छात्रों के चेहरों पर आश्वस्ति का भाव साफ नजर आ रहा था।

बता दें कि पूरी बातचीत में मंत्री संदीप सिंह बच्चों की हर जिज्ञासा को शांत करते रहे और उन्हें यह भरोसा भी दिलाते रहे कि उनकी सोच, सवाल और सपनों को सरकार गंभीरता से सुन रही है और उस पर काम कर रही है।

सबसे पहले, परिषदीय विद्यालयों के पाठ्यक्रम को लेकर उठे सवाल पर मंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया कि पाठ्यक्रम तैयार करने का कार्य भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का है, जहां विशेषज्ञ इस पर काम करते हैं। पहले हम एससीईआरटी के माध्यम से पाठ्यक्रम बनाते थे, लेकिन अब एनसीईआरटी को फॉलो किया जा रहा है। परिषदीय विद्यालयों के बच्चे भी अब एनसीईआरटी के मानक पाठ्यक्रम से पढ़ रहे हैं।

जर्जर स्कूल भवन और मर्जर पर सवाल आया तो मंत्री ने छात्रों को बताया कि किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया गया है। जर्जर भवनों को तोड़कर नए स्कूल बनाने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही सभी जर्जर विद्यालय नया रूप ले लेंगे।

एक छात्र ने मुगलों का इतिहास पढ़ने के साथ ही जिले के इतिहास और स्थानीय महान व्यक्तित्वों की जानकारी पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग रखी। इस पर उन्होंने कहा कि हम जिलावार इतिहास और व्यक्तित्व पर आधारित एक किताब तैयार कर रहे हैं, जिसे जल्द ही कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को पढ़ाया जाएगा। भविष्य में इसे पाठ्यक्रम में भी जोड़े जाने की योजना है।

आरक्षण के सवाल पर उन्होंने साफ किया कि आरक्षण राष्ट्रीय स्तर की नीति है, जिसे कोई भी राज्य बदल नहीं सकता। हम इसके मानकों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं।

नई शिक्षा नीति से जुड़े सवाल पर मंत्री ने बताया कि कक्षा एक में प्रवेश के लिए बच्चे की न्यूनतम आयु छह वर्ष तय की गई है। इससे पहले उसे प्री-प्राइमरी में पढ़ाया जायेगा, ताकि वह पहली कक्षा में जाने के लिए तैयार हो सके।

विभिन्न बोर्डों के आसान व यूपी बोर्ड के कठिन प्रश्न-पत्रों पर उठे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पेपर बनाने का कार्य समिति करती है, इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।

 

 

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