Jitendra Singh Speech : उद्योग से जुड़ाव-निजी क्षेत्र की भागीदारी टिकाऊ स्टार्टअप्स और देश की आर्थिक वृद्धि के लिए अनिवार्य : जितेंद्र सिंह

जितेंद्र सिंह बोले- स्टार्टअप्स और पर्पल रेवोल्यूशन भारत की नई ताकत
उद्योग से जुड़ाव-निजी क्षेत्र की भागीदारी टिकाऊ स्टार्टअप्स और देश की आर्थिक वृद्धि के लिए अनिवार्य : जितेंद्र सिंह

जम्मू: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने रविवार को 'लीड इम्पैक्ट कॉन्क्लेव' में शिरकत की। उन्‍होंने इस कार्यक्रम में उद्योग से जुड़ाव और निजी क्षेत्र की भागीदारी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि दोनों ही टिकाऊ स्टार्टअप्स और भारत की सतत आर्थिक वृद्धि के लिए अनिवार्य हैं। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 'लीड इम्पैक्ट कॉन्क्लेव' को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने अपनी ओर से एक सक्षम वातावरण बनाया है, जिसमें स्टार्टअप्स को उद्योग से जोड़कर उनके उद्यमों को बढ़ावा देने और भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने की दिशा में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप आजीविका का आकर्षक और टिकाऊ साधन बनकर उभरे हैं।

डॉ. सिंह ने बताया कि 1 लाख 70 हजार स्टार्टअप्स के साथ भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने रेखांकित किया कि इनमें लगभग 60 हजार स्टार्टअप्स महिलाओं द्वारा संचालित हैं, जो सफल कृषि उद्यमी बन चुकी हैं। मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से शुरू हुई पर्पल रेवोल्यूशन कृषि स्टार्टअप की सफलता का एक चमकदार उदाहरण है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने इस क्रांति से प्रेरणा लेकर बड़े पैमाने पर लैवेंडर की खेती शुरू की है, जिससे युवाओं को सरकारी नौकरियों की मानसिकता से मुक्त कर वैकल्पिक और टिकाऊ आजीविका का साधन उपलब्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स से जुड़े युवा लाखों रुपए कमा रहे हैं और दूसरों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि 50 प्रतिशत स्टार्टअप्स टियर-2 और टियर-3 शहरों और कस्बों जैसे सूरत, विजयवाड़ा, कानपुर आदि में हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने छोटे और मझोले उद्यमों, रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं और पारंपरिक कारीगरों को व्यवसाय में बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना, पीएम स्वनिधि योजना और पीएम विश्वकर्मा योजना जैसी योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने बताया कि सरकार 'वोकल फॉर लोकल' के तहत खादी उत्पादों को भी बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कॉन्क्लेव के प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे उत्पादन, बिक्री और रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ उठाएं।

डॉ. सिंह ने ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यशालाओं के आयोजन की भी अपील की ताकि इन योजनाओं के बारे में अधिक से अधिक लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके और वे इसका लाभ उठा सकें।

उन्होंने उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच भविष्य से जुड़े क्षेत्रों में सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने आने वाले वर्षों में प्रासंगिक रहने वाले भविष्यवादी विषयों पर शोध की वकालत की। उन्होंने कहा कि अगली क्रांति बायो-ड्रिवन होगी। बायो-फ्यूल्स और जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों जैसे बायो उत्पाद अर्थव्यवस्था में बड़े योगदानकर्ता बनेंगे और भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में दुनिया भारत से नेतृत्व की अपेक्षा कर रही है। मंत्री ने कहा कि जब भारत 2027 में अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब देश का युवा एक विकसित भारत का नेतृत्व करेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसी उद्देश्य से सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है, ताकि युवाओं को सही कौशल और प्रशिक्षण देकर भविष्य के लिए तैयार किया जा सके।

 

 

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