इस साल मई के महीने में कम हुई बिजली खपत, एक्सचेंजों पर कीमतें शून्य

ठंडे मौसम और नवीकरणीय ऊर्जा के बेहतर उत्पादन से मई में बिजली की मांग घटी।
low power demand

नई दिल्ली: मई का महीने भीषण गर्मी का माना जाता है, इस महीने में बिजली की खपत भी बढ़ जाती है, लेकिन इस साल मई में असामान्य रूप से ठंडा मौसम भारत के कई हिस्सों में रहा, जिसके चलते बिजली की मांग में भारी कमी देखी गई। इस अप्रत्याशित मौसमी बदलाव ने बिजली एक्सचेंजों पर कीमतों को शून्य स्तर तक पहुंचा दिया है, जो ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक दुर्लभ घटना है।

देश भर के विद्युत एक्सचेंज में बिजली की कीमतों में महीने में एक साल पहले की तुलना में 25 फीसदी कम हो गई, जिसका कारण है मई महीने में बेमौसम बारिश के होने से तापमान में गिरावट आना। मई का महीना आमतौर पर भारत में गर्मी का पीक सीजन होता है, जब एयर कंडीशनर और कूलर की मांग बिजली की खपत को चरम पर पहुंचा देती है, लेकिन इस साल ठंडे मौसम और बारिश ने तापमान को अप्रत्याशित रूप से नीचे ला दिया। नतीजा यह रहा कि घरों और व्यवसायों में कूलिंग डिवाइसेज का उपयोग कम हुआ, जिससे बिजली की मांग में कमी आई।

इस साल महीने के लिए यह अनुमान लगाया गया था कि देश में बिजली की मांग 266 गीगावॉट ज्यादा रहेगी, लेकिन पिछले कुछ समय से बेमौसम बारिश और आंधी तूफान के कारण केवल 231 गीगावॉट ही बिजली की मांग दर्ज हुई। मई महीने में समानता बिजली की खपत से यह साल दर साल से 4 फीसदी कम है।

आंधी तूफान के कारण ऊर्जा के नवीनीकरण स्रोत जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा ने इस दौरान काफी अच्छा प्रदर्शन किया। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर और पवन ऊर्जा ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। पर्याप्त सौर उत्पादन और हाइड्रोपावर की उपलब्धता ने बिजली की आपूर्ति को और बढ़ा दिया।

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