India Water Politics: पानी पर सबका हक, उमर अब्दुल्ला को ऐसे बयान नहीं देना चाहिए : हरपाल सिंह चीमा

सिंधु समझौता रद्द होने के बाद पानी पर बयानबाज़ी, उमर अब्दुल्ला और पंजाब मंत्री आमने-सामने।
पानी पर सबका हक, उमर अब्दुल्ला को ऐसे बयान नहीं देना चाहिए : हरपाल सिंह चीमा

चंडीगढ़: पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु समझौता रद्द करते हुए पाकिस्तान की तरफ जाने वाला पानी रोक दिया था। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि सिंधु समझौता रद्द होने की वजह से बचे हुए जल पर सिर्फ जम्मू-कश्मीर का हक है। पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने उमर अब्दुल्ला के बयान का विरोध किया है।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, "जम्मू में सूखा पड़ा हुआ है, नलों में पानी नहीं है। मैं पंजाब को पानी क्यों भेजूं? उन्होंने हमें जरूरत के समय पानी नहीं दिया था। मैं फिलहाल पंजाब, हरियाणा, राजस्थान को पानी देने के पक्ष में नहीं हूं।"

उमर अब्दुल्ला के इस बयान पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा, "पानी का मुद्दा राष्ट्रीय है। भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान जाने वाले जल को रोकने का फैसला लिया था। यह एक स्वागत योग्य निर्णय था। इसका फायदा पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर को होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जो बयान दिया है, वह उन्हें नहीं देना चाहिए। पंजाब और अन्य राज्यों में पानी की किल्लत है।"

पंजाब सरकार पर भी राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले को पानी नहीं देने का आरोप लगाया जा रहा है। इस पर चीमा ने कहा कि समझौते के मुताबिक हम राजस्थान को पानी दे रहे हैं। इससे ज्यादा पानी हमारे पास नहीं है।

पंजाब कैबिनेट की बैठक में लिए गए अहम फैसलों की जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा, "कैबिनेट की बैठक पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई है। इसमें कई अहम फैसले लिए गए। इसमें जेल के प्रबंधन को मजबूत करने के लिए 500 अधिकारियों की नियुक्ति का फैसला लिया गया है। फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट की पूर्व अवधि 1 साल थी, उसे बढ़ाकर 3 साल कर दिया गया है। इसके अलावा पंजाब लेबर वेलफेयर फंड में नियोक्ता और कर्मचारी के योगदान को बढ़ाया गया है। कर्मचारी का योगदान 10 रुपए किया गया है, जबकि नियोक्ता का योगदान 40 रुपए किया गया है।"

 

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