उज्जैन: श्रावण मास के पहले सोमवार पर मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर पहुंचीं और भगवान महाकाल के दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने नंदी हॉल में बैठकर शिव साधना की और श्रद्धा-भाव में डूबी रहीं।
महाकाल के दर्शन के बाद मीडिया से बातचीत में उमा भारती ने कहा कि मैं हर बार महाकाल से एक ही प्रार्थना करती हूं कि जैसी आपकी ध्वजा फहरा रही है, वैसे ही धर्म ध्वजा भी फहराती रहे। यही मेरी एकमात्र मनोकामना है। उन्होंने बताया कि वे जब भी बाबा महाकाल का बुलावा महसूस करती हैं, तब दर्शन के लिए चली आती हैं, लेकिन कोशिश करती हैं कि श्रावण मास की शिवरात्रि पर मंदिर आएं। इस बार उन्होंने भक्तों को असुविधा न हो, इसलिए पहले सोमवार को ही दर्शन करना उचित समझा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रशंसा करते हुए उमा भारती ने कहा कि हमारा मोहन, महाकाल का प्रसाद है पूरे मध्यप्रदेश के लिए। वह बेहद संवेदनशील व्यक्ति हैं, हर बात को गहराई से समझते हैं। मैं उनसे बहुत प्रसन्न रहती हूं। मंदिर में प्रशासनिक व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह सब बेहतर समन्वय और नेतृत्व का परिणाम है।
उमा भारती ने बाबा महाकाल से आगामी सिंहस्थ 2028 की सफलता के लिए भी विशेष प्रार्थना की। मेरी मनोकामना है कि सिंहस्थ भव्यता और व्यवस्था दोनों में रिकॉर्ड बनाए। प्रदेश में इसकी सफलता एक नया कीर्तिमान रचे।
हिंदू राष्ट्र की उठ रही मांग को लेकर सवाल किए जाने पर उमा भारती ने कहा कि यह देश हिंदू राष्ट्र है, लेकिन हिंदू राज्य नहीं। उन्होंने बताया कि हिंदू राज्य का अर्थ होता है केवल हिंदुओं का शासन, जबकि हिंदू राष्ट्र का मतलब होता है सर्व समावेशी समाज, जिसमें सभी धर्मों और पंथों के लोग सुरक्षित और सम्मानित हों।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक के पुराने वक्तव्य का हवाला देते हुए कहा कि आज से छह साल पहले उन्होंने स्पष्ट कहा था कि हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना में ऐसा हो ही नहीं सकता कि उसमें अल्पसंख्यक न हों या वे असुरक्षित महसूस करें।
उमा भारती ने कहा कि बाबा महाकाल के दर्शन उन्हें आत्मिक शांति और ऊर्जा प्रदान करते हैं। बाबा से बोलने के लिए मेरे पास शब्द नहीं होते। उनकी शरण में सिर्फ भाव होते हैं।