उज्जैन: महाअष्टमी के पावन अवसर पर उज्जैन में पारंपरिक नगर पूजन का आयोजन किया गया।
शहर के 24 खंभा क्षेत्र में स्थित देवी महामाया और देवी महालया के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना हुई। इस दौरान जिलाधिकारी (कलेक्टर) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने मिलकर नगर और देश की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
पूजा के दौरान कलेक्टर और एसपी ने देवी महामाया और देवी महालया को मदिरा (शराब) का भोग लगाया। यह परंपरा सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल से चली आ रही है। पहले राजा-महाराजा, फिर जमींदार और अब कलेक्टर व एसपी इस प्रथा को निभा रहे हैं। पूजा के बाद लगभग 27 किलोमीटर की पैदल यात्रा की गई, जिसमें कोतवाल और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए। इस यात्रा में 40 भैरव और देवी मंदिरों में मदिरा का भोग लगाकर पूजा की गई। मदिरा को एक हांडी में लेकर यह यात्रा पूरी की जाती है और इसे भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
जिलाधिकारी रोशन कुमार सिंह ने कहा, "जिले की सुख-समृद्धि और मंगल कामना के लिए यह पूजन बहुत खास है। मुझे इस पूजा में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं सभी को महाअष्टमी और नवमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।"
मंदिर के पुजारी रवि ने बताया कि यह यात्रा देवी महामाया और महालया के मंदिर से शुरू होकर हांडी भैरव मंदिर पर समाप्त होती है। यह परंपरा सम्राट विक्रमादित्य के समय से शुरू हुई थी। वर्तमान में कलेक्टर और एसपी इस प्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं, क्योंकि कलेक्टर को जिले का प्रशासनिक प्रमुख माना जाता है। यह पूजन न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।
इस आयोजन में स्थानीय लोग भी उत्साह से शामिल हुए। यह परंपरा उज्जैन की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है और भक्ति व एकता का संदेश देती है।