मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। उद्धव ने कोर्ट से अपील की है कि उन्हें 'शिवसेना' नाम, 'धनुष-बाण' निशान और बाघ वाले भगवा झंडे का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए। यह मांग महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए की गई है।
उद्धव के वकील देवदत्त कामत ने 2 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे गुट को इन चिन्हों के इस्तेमाल से रोका जाए, क्योंकि ये शिवसेना की मूल पहचान हैं और जनता इन्हें भावनात्मक रूप से जोड़ती है।
कामत ने तर्क दिया कि ये प्रतीक 1985 से शिवसेना की पहचान रहे हैं और मतदाता इन्हें बालासाहेब ठाकरे से जोड़ते हैं।
जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर कई विधायकों के साथ अलग गुट बनाया था। इसके बाद फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को 'शिवसेना' नाम और 'धनुष-बाण' चिन्ह दे दिया।
उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जो दो साल से लंबित है। उद्धव गुट चाहता है कि कोर्ट स्थानीय चुनावों के लिए अस्थायी राहत दे, ताकि उनका नुकसान न हो।
उन्होंने एनसीपी मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे अजित पवार गुट को चिन्ह दिया गया, वैसे ही उनके लिए भी व्यवस्था हो।
शिंदे गुट के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव पहले ही इस नाम और चिन्ह से हो चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव की ऐसी ही मांग ठुकरा दी थी।
दूसरी ओर, उद्धव गुट का आरोप है कि शिंदे ने असंवैधानिक रूप से सत्ता हासिल की। 10 जनवरी 2024 को महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को 'असली शिवसेना' माना था। इसके खिलाफ उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद 22 जनवरी 2024 को शिंदे और उनके विधायकों को नोटिस जारी किया गया।
इस फैसले की सुनवाई पर पूरे महाराष्ट्र की नजर है।