Supreme Court Stray Dogs Delhi: आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला संतुलित: वकील नमिता रॉय

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें छोड़ा जाए और केवल तय स्थानों पर ही फीडिंग हो। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक जगहों पर फीडिंग नहीं होगी और नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई होगी। वकील नमिता रॉय ने इसे संतुलित फैसला बताते हुए कहा कि समाधान मौजूद है, बस सही तरीके से लागू करने की जरूरत है।
आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला संतुलित: वकील नमिता रॉय

नई दिल्ली:  दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को वकील नमिता रॉय ने संतुलित बताया है। उन्होंने कहा कि समस्या का समाधान मौजूद है, बस उसे लागू करने की जरूरत है।

वकील नमिता रॉय ने आईएएनएस से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों से संबंधित फैसले को संतुलित बताया। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें वापस छोड़ा जाना चाहिए, जिससे उनकी आबादी नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

नमिता ने यह भी दावा किया कि कुत्ते स्वाभाविक रूप से किसी को नहीं काटते। उन्होंने आवारा कुत्तों की फीडिंग के बारे में कहा कि एनिमल वेलफेयर बोर्ड के नियमों के अनुसार, फीडिंग के लिए निर्धारित स्थान और समय होना चाहिए। भारी ट्रैफिक के दौरान फीडिंग नहीं होनी चाहिए, और बोर्ड लगाकर फीडिंग पॉइंट्स बनाए जाने चाहिए। लेकिन, दिल्ली-एनसीआर में ऐसा देखने को नहीं मिलता है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आवारा कुत्तों के मुद्दे को लेकर फैसला सुनाया। स्पष्ट किया कि सिर्फ निर्धारित जगहों पर ही कुत्तों की फीडिंग की जाएगी। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई इन नियमों की अवहेलना करता हुआ पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को फीडिंग करने की अनुमति नहीं दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जिन कुत्तों को पकड़ा गया है उन्हें नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही छोड़ा जाना चाहिए, सिवाय उन कुत्तों के जो रेबीज से संक्रमित हैं या जिनका व्यवहार आक्रामक है।

इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने 11 अगस्त को दिए उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। इस पर व्यापक विवाद और विरोध प्रदर्शन हुआ था। डॉग लवर और पशु अधिकारों से जुड़े एक्टिविस्ट्स ने इसे अमानवीय बताया था। 14 अगस्त को जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की स्पेशल बेंच ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 

 

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