Supreme Court Notice Siddaramaiah : सिद्दारमैया को चुनाव लड़ने से रोकने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के सीएम को जारी किया नोटिस

वरुणा सीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दारमैया को भेजा नोटिस
सिद्दारमैया को चुनाव लड़ने से रोकने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के सीएम को जारी किया नोटिस

नई दिल्ली: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के 2023 में वरुणा सीट से चुनाव लड़ने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सोमवार को उन्हें नोटिस जारी किया। याचिका में सिद्दारमैया का चुनाव रद्द करने और उन्हें अगले छह साल तक चुनाव लड़ने से रोकने की मांग की गई है।

यह याचिका वरुणा क्षेत्र के मतदाता शंकरा ने दाखिल की थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी ने जो पांच वादे अपने घोषणापत्र में किए थे, वे मतदाताओं को रिश्वत देने के समान हैं। इस घोषणापत्र को सिद्दारमैया की सहमति से जारी किया गया था, इसलिए उन पर भ्रष्ट आचरण का मामला बनता है।

इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने अप्रैल में यह कहकर याचिका को खारिज कर दिया था कि चुनाव में किए गए वादे 'करप्ट प्रैक्टिस' की श्रेणी में नहीं आते। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के इस आदेश को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान बेंच ने शुरुआती तौर पर याचिका खारिज करने की इच्छा जताई , लेकिन बाद में नोटिस जारी किया। अदालत को बताया गया कि तमिलनाडु के मामले एस. सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार (2013) 9 एससीसी 659 में भी इसी तरह के चुनावी वादों को भ्रष्ट आचरण माना जाए या नहीं, इस पर तीन न्यायाधीशों की बेंच के सामने चुनौती लंबित है। इसी कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भी सुनवाई की अनुमति दी।

सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने सवाल उठाया कि घोषणापत्र की घोषणा कैसे भ्रष्ट आचरण मानी जा सकती है?

याचिकाकर्ता ने कांग्रेस के घोषणापत्र में किए गए पांच वादों को भ्रष्ट आचरण बताया है। इसमें प्रत्येक घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, प्रत्येक महिला मुखिया को 2,000 रुपए प्रतिमाह, प्रत्येक बीपीएल परिवार के सदस्य को 10 किलो अनाज प्रतिमाह, बेरोजगार ग्रेजुएट्स को 2 साल तक 3,000 रुपए प्रतिमाह, डिप्लोमा धारकों को 1,500 रुपए प्रतिमाह और राज्य में सभी महिलाओं के लिए सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा शामिल हैं।

याचिकाकर्ता का कहना है कि इन वादों के कारण पुरुषों के साथ भेदभाव हुआ और यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सिद्दारमैया और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट इस मामले में आगे की दिशा तय करेगी।

यह मामला कर्नाटक की राजनीति और चुनावी नियमों के बीच एक महत्वपूर्ण कानूनी बहस बन गया है, जिसमें यह तय होना है कि चुनावी घोषणापत्र में वादों को भ्रष्ट प्रैक्टिस माना जा सकता है या नहीं।

 

Related posts

Loading...

More from author

Loading...