SUPREME COURT Karur Stampede : सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला रखा सुरक्षित, तमिलनाडु सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा

करूर भगदड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा
करूर भगदड़ केस : सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला रखा सुरक्षित, तमिलनाडु सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा

नई दिल्ली: तमिलनाडु के करूर में अभिनेता और टीवीके के संस्थापक विजय की राजनीतिक रैली के दौरान हुई भगदड़ की सीबीआई से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है।

सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को पार्टी प्रमुख और अभिनेता विजय की रैली के दौरान करूर में हुई भगदड़ की जांच के संबंध में विजय की पार्टी टीवीके (तमिलनाडु वेत्री कझगम), दो मृतकों के परिवारों और अन्य पक्षों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

सभी पक्षों द्वारा प्रस्तुत दलीलों के बाद, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह अपना फैसला सुरक्षित रखने से पहले पीड़ितों की ओर से दायर याचिकाओं के जवाब में एक जवाबी हलफनामा दायर करे।

बता दें कि अभिनेता-राजनेता विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) ने करूर भगदड़ की निष्पक्ष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इस भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई थी और 60 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

टीवीके पार्टी ने याचिका दायर करते हुए इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की मांग की थी। मामले में पहले ही मद्रास हाईकोर्ट विशेष जांच टीम (एसआईटी) से जांच करने का आदेश दे चुका है। हालांकि, हाईकोर्ट के इस आदेश को पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

इससे पहले, इसी मामले में एक पीड़िता के परिजनों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

करूर भगदड़ मामले की जांच के लिए मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी का गठन भी किया जा चुका है, जिसका नेतृत्व आईपीएस अधिकारी असरा गर्ग को दिया गया। असरा गर्ग के अलावा नमक्कल की पुलिस अधीक्षक विमला और सीएससीआईडी पुलिस अधीक्षक श्यामला देवी शामिल हैं।

हाईकोर्ट ने विजय की रैली के आयोजकों को जनता और बच्चों को बचाने में विफल रहने व घटना की जिम्मेदारी न लेने के लिए फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा, "चाहे वे नेता हों या पार्टी कार्यकर्ता, इस घटना के बाद, जबकि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और सभी राजनीतिक दलों ने दुख व्यक्त किया, कार्यक्रम के आयोजक पूरी तरह से पीछे हट गए।"

 

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