नई दिल्ली: यमन में हत्या के आरोप में सजा काट रही नर्स निमिषा प्रिया के संबंध में दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। इस याचिका में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि वो निमिषा को बचाने की दिशा में राजनयिक हस्तक्षेप करें।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ इस मामले में सुनवाई करेगी। यह याचिका सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल नामक संगठन की तरफ से दाखिल की गई है। निमिषा 2008 से यमन में रह रही है।
निमिषा को हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है। उसे 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। इससे पहले, निमिषा के परिजनों ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र लिखकर निमिषा की फांसी रोकने के लिए राजनयिक हस्तक्षेप की भी मांग की है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि निमिषा के परिजनों को हर संभव सहायता देने की दिशा में हम प्रयासरत हैं।
यमन के अदालत के दस्तावेजों में आरोप लगाया गया है कि नर्स निमिषा प्रिया ने अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या कर दी थी। यही नहीं, हत्या के बाद उसने अपने एक अन्य नर्स की सहायता से उसके शव के टुकड़े करके टैंक में फेंक दिए थे।
निमिषा प्रिया के परिजनों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उसने हत्या नहीं की थी, बल्कि निमिषा ने कथित तौर पर अपना जब्त पासपोर्ट पाने के लिए उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया था। लेकिन, ओवरडोज की वजह से उसकी मौत हो गई।
निमिषा प्रिया ने फांसी की सजा के खिलाफ यमन की सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन वह खारिज हो गई। उन्होंने यमन के राष्ट्रपति से दया की अपील भी की थी, पर वह भी स्वीकार नहीं हुई।