मथुरा: सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए अपनी ओर से एक कमेटी का गठन किया। इस कमेटी की अध्यक्षता इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक कुमार करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब तक हाई कोर्ट यूपी सरकार की ओर से जारी अध्यादेश पर आदेश नहीं दे देता, तब तक सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त यह कमेटी मंदिर के रोजमर्रा का काम देखेगी।
उत्तर प्रदेश की सरकार अपने अध्यादेश के मुताबिक मंदिर के प्रबंधन के लिए ट्रस्ट का गठन नहीं कर पाएगी। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश के इस हिस्से पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि कमेटी के अध्यक्ष को प्रति माह 2 लाख रुपए मानदेय दिया जाएगा, जिसका वहन मंदिर के खातों से किया जाएगा। उन्हें परिवहन सुविधाओं समेत सभी आवश्यक सहायता भी प्रदान की जाएगी।
साथ ही कमेटी के सदस्य मुकेश मिश्रा को मानदेय के रूप में प्रति माह 1 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा, जिसका वहन मंदिर कोष के खातों से किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी का एक कार्यालय मथुरा में होगा, जिसके लिए बिना किसी शुल्क के जिला प्रशासन को तत्काल उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमें इस बात का दुःख है कि प्रशासनिक गतिरोध और सेवायत के आपसी संघर्ष के चलते मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को बीते सालों में परेशानी झेलनी पड़ी। कोर्ट ने कहा कि हालांकि इस मंदिर को सैकड़ों करोड़ का दान मिल रहा है। इसके बावजूद मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को जरूरी सुविधाएं प्रदान करने को लेकर प्रबंधन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सेवायतों के आपसी टकराव और आपस में चलने वाली अदालती लड़ाइयों के चलते भी प्रशासनिक स्तर पर कोई कदम नहीं उठाए उठाए गए।