नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले में बड़ा फैसला देते हुए राज्य के सभी 12 राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने राजनीतिक दलों से एसआईआर के दौरान मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए लोगों की सहायता करने को भी कहा है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। बेंच ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि बिहार में राजनीतिक दलों के 1.68 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंट (बीएलए) हैं, लेकिन चुनाव आयोग के अनुसार सिर्फ दो आपत्तियां दर्ज की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से एसआईआर प्रक्रिया में आगे आकर सहयोग मांगा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर को आदेश दिया कि राज्य की सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को नोटिस जारी करें।
कोर्ट ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि वे अपने बीएलए को निर्देश जारी करें कि वे मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल होने के लिए चुनाव आयोग की ओर से सूचीबद्ध 11 दस्तावेजों या आधार कार्ड के साथ जरूरी फॉर्म जमा करने में सहायता करें।
इससे पहले, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि उनके निर्देशों का पालन किया गया है और ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल न होने वाले लगभग 65 लाख लोगों की बूथवार सूची वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। चुनाव आयोग ने कोर्ट को यह भी बताया कि आदेश के अनुसार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को भी जारी कर दिया गया है।
चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि ड्राफ्ट लिस्ट में नाम शामिल न किए जाने के कारणों का भी खुलासा किया गया है और जिला स्तर पर वेबसाइट पर डाला गया है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह उन 65 लाख लोगों की सूची जारी करें, जिनके नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किए गए हैं। आयोग को लिस्ट में यह भी बताना था कि आखिर उनके नाम ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल न करने की वजह क्या है? सुप्रीम कोर्ट आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूचियों की एसआईआर के आदेश देने वाले चुनाव आयोग के 24 जून के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।