नई दिल्ली भोपाल: सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की आत्महत्या के मामले में कडा रुख अख्तियार किया है। जनवरी 2025 से लेकर 5 मईं के बीच में अभी तक 17 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है, क्या इन बच्चों की आत्महत्या के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पादरीवाला और आर महादेवन की संयुक्त पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को आदेश दिया है। वह आत्महत्या के मामलों से संबंधित पुलिस स्टेशन से जल्द से जल्द रिपोर्ट प्राप्त कर खंडपीठ को जानकारी दें।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आईआईटी खडगपुर और कोटा में नीट की तैयारी कर रही छात्रा द्वारा आत्महत्या के मामले में गंभीरता दिखाते हुए रजिस्ट्री को आदेश दिया है। आईआईटी खड़गपुर के तीसरे वर्ष के सिविल इंजीनियरिंग के छात्र मोहम्मद आसिफ द्वारा 4 मईं को हॉस्टल के कमरे में फंदे पर लटक कर आत्महत्या की है। आत्महत्या के ठीक पहले उसने दिल्ली में रहने वाले एक दोस्त के साथ वीडियो कॉल पर बात भी की थी। मध्य प्रदेश की एक छात्रा, कोटा में नीट की कोचिंग ले रही थी। उसने भी आत्महत्या की है। छात्रा भूमिजा ने नीट परीक्षा के कुछ दिन पहले ही आत्महत्या की है। यह कोटा में कोचिंग ले रही थी।
सुप्रीम कोर्ट की संयुक्त पीठ ने इस मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया है। इसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एस रवींद्र भट्ट कर रहे हैं। छात्रों के आत्महत्या की मामलों की सघन जांच होनी चाहिए। इस मामले की सुनवाई अब 13 मईं को संयुक्त खंडपीठ में होगी।