I Love Mohammad : 'आई लव मोहम्मद' कहना कोई गुनाह नहीं, हर मुसलमान का हक: एसटी हसन

एसटी हसन बोले, 'आई लव मोहम्मद' अपराध नहीं, पाक से मैच अनुचित
'आई लव मोहम्मद' कहना कोई गुनाह नहीं, हर मुसलमान का हक: एसटी हसन

मुरादाबाद: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एसटी हसन ने 'आई लव मोहम्मद' कहने को लेकर चल रहे विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने कहा कि यह कहना हर मुसलमान का हक है और इसे अपराध की तरह देखना गलत है। 'आई लव मोहम्मद' कहना कोई गुनाह नहीं है। यह हमारे दिलों में बसता है। यह वह नाम है जिसके लिए मुसलमान सब कुछ कुर्बान कर सकता है। अगर इस वजह से लोगों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं तो हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।

उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि लोग 'जय श्री राम' कहते हैं और इसे स्वीकार किया जाता है, लेकिन जब मुसलमान अपने पैगंबर के प्रति प्रेम व्यक्त करते हैं तो उन्हें निशाना बनाया जाता है। कानून सभी के लिए समान होना चाहिए और धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने की आजादी सबको मिलनी चाहिए।

इसके साथ ही, हसन ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को लेकर भी अपनी आपत्ति जताई। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जब देश अभी दुख से उबर नहीं पाया है, तब पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलना उचित नहीं है।

उन्होंने कहा, "हम हमेशा इस तरह के मैचों के खिलाफ रहे हैं। पहलगाम में हमारी बहनों के साथ जो हुआ, उसका दुख अभी खत्म नहीं हुआ है। हमारी आंखों के आंसू सूखे भी नहीं हैं और हम मैच खेलने के लिए तैयार हो गए। हार-जीत से परे, क्या उस देश के साथ खेलना सही है? दोस्ताना मैच दोस्तों के साथ खेला जाता है।"

एसटी हसन ने यह भी आरोप लगाया कि इस तरह के आयोजनों में सट्टेबाजी को बढ़ावा मिलता है, जिसे रोका नहीं जा रहा। सरकार और खिलाड़ियों को इससे पैसा मिलता है, लेकिन पैसा ही सब कुछ नहीं है। हमें अपनी भावनाओं और देश की गरिमा का भी ध्यान रखना चाहिए।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि कांवड़ पर जो उत्पात मचाया था, उन्हें तो हाथ भी नहीं लगाया, लेकिन आई लव मोहम्मद का पोस्टर दिखाया तो टांगे तोड़ दी गई, ये साफ तौर पर नफरत है।

उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए एसटी हसन ने कहा कि कांवड़ियों पर फूल बरसाए जाते हैं, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन अगर दूसरे धर्म के लोग अपनी धार्मिक भावनाएं व्यक्त करते हैं तो उन्हें अपराधी ठहराया जाता है। कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए। धार्मिक भेदभाव को खत्म करने के लिए समाज में समानता और सहिष्णुता को बढ़ावा देना जरूरी है।

 

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