Shravan Sunday Vrat: रविवार के दिन करें ये खास उपाय, पाएं धन और सफलता

श्रावण के रविवार व्रत में सूर्य पूजन से मिलती है सुख-समृद्धि, जानें शुभ योग और नियम
रविवार के दिन करें ये खास उपाय, पाएं धन और सफलता

नई दिल्ली: श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया को रविवार का दिन पड़ रहा है। इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे, वहीं चंद्रमा शाम के 06 बजकर 53 मिनट तक मकर राशि में रहेंगे, इसके बाद कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इस दिन भद्रा का साया रहेगा।

इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय शाम के 05 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 07 बजकर 21 मिनट तक चलेगा।

दृक पंचांग के अनुसार, रविवार के दिन भद्रा का समय सुबह 05 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर रात के 10 बजकर 42 मिनट पर खत्म हो जाएगा। वहीं, त्रिपुष्कर योग का समय रात के 09 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर रात के 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। साथ ही रवि योग का समय सुबह 05 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर रात के 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।

अग्नि और स्कंद पुराणों के अनुसार, रविवार के दिन व्रत रखने से सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रत को आप किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू कर सकते हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है।

व्रत शुरू करने के लिए आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर व्रत कथा सुनें और सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने और सूर्य देव के मंत्र "ऊं सूर्याय नमः" या "ऊं घृणि सूर्याय नमः" का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है। रविवार के दिन गुड़ और तांबे के दान का भी विशेष महत्व है। इन उपायों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है।

एक समय भोजन करें, जिसमें नमक का सेवन न करें। गरीबों को दान करें। रविवार के दिन काले या नीले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना, तेल मालिश करना और तांबे के बर्तन बेचना भी वर्जित माना गया है। व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है।

 

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