Shravan Friday Vrat 2024 : संतोषी माता और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम दिन, ऐसे करें शुक्रवार व्रत

श्रावण शुक्ल शुक्रवार को करें व्रत और पूजा, माता लक्ष्मी और संतोषी माता करेंगी कृपा
सावन माह का शुक्ल पक्ष : संतोषी माता और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम दिन, ऐसे करें शुक्रवार व्रत

नई दिल्ली: श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की शुरुआत शुक्रवार से हो रही है। इस दिन सूर्य देव कर्क राशि में रहेंगे और चंद्रमा भी कर्क राशि में रहेंगे। यह संतोषी माता और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम दिन है।

दृक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त दोपहर के 12 बजे से शुरू होकर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।

शुक्रवार व्रत मुख्य रूप से संतोषी माता और देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस व्रत को करने से सुख-समृद्धि, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में शांति आती है। साथ ही माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से सभी दुखों का नाश होता है और माता रानी अपने भक्तों को सभी कष्टों से बचाती हैं। साथ ही उनकी जो भी मनोकामनाएं होती हैं, उन्हें भी पूर्ण करती हैं। वहीं, शुक्रवार का व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे संबंधित दोषों को दूर करने के लिए भी रखा जाता है। इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है। आमतौर पर यह व्रत लगातार 16 शुक्रवार तक रखा जाता है, जिसके बाद उद्यापन किया जाता है।

इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर उसमें माता की प्रतिमा रखें और एक कलश की भी स्थापना करें। श्री यंत्र की स्थापना करना भी शुभ माना जाता है (यदि देवी लक्ष्मी की पूजा कर रहे हों)। माता संतोषी या देवी लक्ष्मी को सिंदूर, अक्षत, फूल और माला चढ़ाएं। घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं। माता को फलों का भोग लगाएं। फिर व्रत कथा, चालीसा और मंत्रों का पाठ करें और उसके बाद आरती करें। पूजा समाप्त होने के बाद एक बड़े पात्र में जल भरकर पूरे घर में जल का छिड़काव करें, और उसके बाद मां तुलसी को जल चढ़ाएं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी के व्रत में नमक और माता संतोषी के व्रत में खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। दिन में एक बार मीठे के साथ किसी एक अनाज का सेवन कर सकते हैं, जैसे खीर-पूरी। व्रत के दिन तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा) का सेवन घर के किसी सदस्य को भी नहीं करना चाहिए। इस दिन ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराकर दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।

 

Related posts

Loading...

More from author

Loading...