Indian Religious Practices: गण्ड योग को करें शांत, इन उपायों से पाएं समृद्धि!

श्रावण दशमी पर गण्ड योग का निर्माण, सूर्य व्रत और शिव पूजा से दूर करें अशुभ प्रभाव
श्रावण मास की दशमी तिथि: गण्ड योग को करें शांत, इन उपायों से पाएं समृद्धि!

नई दिल्ली:  श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि रविवार को पड़ रही है। इस दिन कृतिका नक्षत्र है और साथ ही गण्ड योग का निर्माण भी हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह अशुभ योग है, ग्रहों की विशेष स्थिति या युति की वजह से इस योग का निर्माण होता है।

पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त 12 बजे से शुरू होकर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय शाम को 5 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।

गण्ड योग, ज्योतिष में एक अशुभ योग माना जाता है, 'गंड' शब्द का अर्थ ही कठिनाई, परेशानी या बाधा है। यह योग जन्म कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण बनता है और व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां और बाधाएं ला सकता है।

यदि किसी जातक की कुंडली में गण्ड योग है, तो इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय करने के लिए आप भगवान शिव की उपासना करने के साथ 'ओम नमः शिवाय' का जाप भी कर सकते हैं। इसी के साथ ही चंद्रमा के मंत्रों 'ओम चंद्राय नमः' का जाप और हनुमान भगवान की पूजा करने से इस योग से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सकती है।

इस दिन रविवार का दिन भी पड़ रहा है। अगर किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो वह रविवार के दिन व्रत और विशेष पूजा कर सूर्य देव की कृपा पा सकता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

व्रत शुरू करने के लिए आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर व्रत कथा सुनें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें, साथ ही सूर्य देव के मंत्र 'ओम सूर्याय नमः' या 'ओम घृणि सूर्याय नमः' का जाप करें। इसके बाद तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

इस दिन बिना नमक के एक समय भोजन करें, काले या नीले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना, तेल मालिश करना और तांबे के बर्तन बेचना भी वर्जित माना गया है। व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है।

 

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