नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार सुबह निधन हो गया है। वे अपने शांत स्वभाव और संयमित राजनीतिक शैली के लिए जाने जाते थे। हालांकि अपने लंबे राजनीतिक करियर में उन्हें अपने बयानों और लाइफ स्टाइल की वजह से कड़ी आलोचना का सामना भी करना पड़ा।
इसमें से एक विवाद शिवराज पाटिल के श्रीमद्भवत गीता को लेकर दिए बयान से जुड़ा है, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों से लेकर टीवी डिबेट तक घमासान मच गया था।
दरअसल दिल्ली में एक बुक लॉन्च इवेंट के दौरान शिवराज पाटिल ने कहा था कि जिहाद की अवधारणा केवल कुरान में ही नहीं, बल्कि गीता और ईसाइयों से जुड़े ग्रंथों में भी देखने को मिलती है। उन्होंने कहा था कि इस्लाम धर्म में जिहाद पर बहुत चर्चा होती है। तमाम कोशिशों के बाद भी अगर कोई साफ विचारों को नहीं समझता है तो ताकत का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह अवधारणा सिर्फ कुरान शरीफ में ही नहीं, बल्कि महाभारत में भी है। महाभारत में गीता के जिस हिस्से में श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म के लिए युद्ध करने की प्रेरणा दी, वह भी जिहाद के समान है।" शिवराज पाटिल ने कहा था कि ईसा मसीह के तलवार उठाने का जिक्र करते हुए कहा कि आप इसे जिहाद नहीं कह सकते और आप इसे गलत नहीं कह सकते, यही बात हमें समझनी चाहिए।
उनके इस बयान पर विभिन्न धर्मों के नेताओं, सामाजिक संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। कई लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बताया। हालांकि पाटिल अपनी बात पर कायम रहे और इसे केवल धर्मग्रंथों की 'दार्शनिक व्याख्या' बताया था।
शिवराज पाटिल से जुड़ा दूसरा विवाद वर्ष 2008 में सामने आया था, जब दिल्ली में सीरियल बम ब्लास्ट वाली शाम को करीब चार घंटे में उन्हें तीन अलग-अलग
परिधानों में देखा गया। एक और ब्लास्ट के पीड़ित अस्पताल में तड़प रहे हैं, वहीं दूसरी ओर तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल को उनके कपड़े बदलने के लिए जमकर घेरा गया। दरअसल ब्लास्ट वाली शाम को उन्हें सबसे पहले सीडब्ल्यूसी की बैठक, फिर ब्लास्ट के बाद मीडिया से मुखातिब होते समय और इसके बाद घटनास्थल के जायजे के दौरान अलग-अलग कपड़ों में देखा गया।
इसके बाद एक टीवी इंटरव्यू में शिवराज पाटिल ने आलोचना का जवाब देते हुए कहा था, "मैं साफ-सुथरे तरीके से रहने वाला व्यक्ति हूं। अगर मैं ऐसे समय शांति से अपना काम करता हूं तो भी लोग मुझमें कमी निकालते हैं। आप नीतियों की आलोचना कीजिए, कपड़ों की नहीं।" उन्होंने कहा कि इस तरह की आलोचना राजनीतिक मर्यादा के खिलाफ है और इसका मूल्यांकन जनता करेगी।
भाजपा समेत विरोधी दलों ने पाटिल के कृत्य को असंवेदनशीलता बताया था। हालांकि बिहार के पूर्व मंत्री शकील अहमद ने कहा था कि कपड़ों पर विवाद निरर्थक है। हर इंसान को अच्छा दिखने का अधिकार है। किसी मंत्री का मूल्यांकन उसकी नीतियों और उसके काम से होना चाहिए, न कि उसकी वेशभूषा से। उन्होंने इसे बेतुका विवाद बताया था।
--आईएएनएस
