Major Mumbai Moments : कांग्रेस को बीएमसी में अकेले लड़ने की चुनौती, देखते हैं कितनी सीटें आती हैं : आनंद दुबे

आनंद दुबे ने कांग्रेस की रणनीति और ऑपरेशन सिंदूर पर तीखी प्रतिक्रिया दी
कांग्रेस को बीएमसी में अकेले लड़ने की चुनौती, देखते हैं कितनी सीटें आती हैं : आनंद दुबे

मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने आईएएनएस से खास बातचीत में बीएमसी चुनाव में कांग्रेस की अकेले लड़ने की इच्छा, फारूक अब्दुल्ला के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बयान और लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के परिवार-पार्टी छोड़ने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी।

मुंबई में बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने की कांग्रेस की मंशा पर शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि कांग्रेस बड़ी और पुरानी पार्टी है। अगर वे अकेले चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो शुभकामनाएं। बिहार में राजद के साथ लड़े और सिर्फ छह सीटें आईं। यहां भी लड़कर देख लीजिए कि कितनी सीटें आती हैं। पिछले 30 वर्षों से मुंबई बीएमसी में शिवसेना की सत्ता रही है और पार्टी की जड़ें काफी मजबूत हैं। उन्होंने याद दिलाया कि 2017 में भाजपा के खिलाफ शिवसेना ने दो सीट ज्यादा जीतकर बीएमसी में बढ़त बनाए रखी थी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमारे साथ दोस्त है, हम चाहेंगे कि साथ मिलकर लड़ें। महाराष्ट्र में भाजपा भी हमारे कंधे पर बैठकर चुनाव लड़ती थी। इस बार हम भाजपा समेत सबको हराएंगे और बीएमसी में हमारा झंडा ही लहराएगा। उन्होंने कांग्रेस को सलाह दी कि वह यह आत्मचिंतन करे कि वह कई राज्यों में हार क्यों रही है।

बिहार चुनाव के नतीजों पर आनंद दुबे ने कहा कि राजनीति में या तो हार होती है या जीत। 2014 से पहले कांग्रेस की सरकार रही। अब भाजपा का समय चल रहा है, इसलिए वह जीत रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं कि कांग्रेस हर जगह हार रही है। कई राज्यों में कांग्रेस और महागठबंधन जीतते भी हैं। हमें रणनीति बनानी होगी।

जब फारूक अब्दुल्ला के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बयान को लेकर पूछा गया तो दुबे ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला वरिष्ठ और समझदार नेता हैं। अगर 'ऑपरेशन सिंदूर' के बावजूद दिल्ली में धमाका होता है, कश्मीर में हादसे होते हैं, तो सबकी यही इच्छा है कि पाकिस्तान को नेस्तनाबूद किया जाए। पाकिस्तान का खात्मा जरूरी है। यह सिर्फ फारूक अब्दुल्ला नहीं, हम भी कह रहे हैं।

रोहिणी आचार्य द्वारा लालू परिवार व पार्टी छोड़ने पर आनंद दुबे ने कहा कि लालू परिवार में इन दिनों उथल-पुथल है। तेजप्रताप के बाद अब रोहिणी का मामला सामने आया है। परिवार में अलग-अलग मानसिकता होने पर परिवार कमजोर होता है और इसका असर चुनाव परिणामों में भी दिखा। उन्होंने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि यह विवाद जल्द खत्म हो और सब ठीक हो जाए।

--आईएएनएस

 

Related posts

Loading...

More from author

Loading...