मुंबई: जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने पर शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत फैसला है, इसका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि धनखड़ ने अहम पदों पर रहते हुए देश सेवा में सराहनीय योगदान दिया।
शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि जगदीप धनखड़ द्वारा उपराष्ट्रपति पद से दिया गया इस्तीफा उनका व्यक्तिगत निर्णय है और इसका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ा है। धनखड़ वरिष्ठ वकील, राज्यपाल और उपराष्ट्रपति जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं और देश की सेवा में उनका योगदान सराहनीय रहा है। संसद में भी उनका कार्यकाल उत्कृष्ट रहा। हम उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं और उनके फैसले का आदर करते हैं।
मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा के लिए केंद्र सरकार के तैयार होने पर हेगड़े ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में 16 घंटे की बहस कराने का फैसला मोदी सरकार का सराहनीय कदम है। इससे विपक्ष का असली चेहरा सामने आएगा। ऑपरेशन सिंदूर से पहले, उसके दौरान और बाद में विपक्ष पाकिस्तान की भाषा बोल रहा था और हमारी सेना पर सवाल उठा रहा था, जो देश के लिए शर्मनाक है। जब पूरा देश प्रधानमंत्री के साथ था तब कांग्रेस पाकिस्तान के साथ खड़ी थी। अब बहस के दौरान साफ हो जाएगा कि विपक्ष किसके पक्ष में है। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है।
दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर जले नोटों के बंडल मिलने के मामले में हेगड़े ने कहा कि इससे पहले भी कई बार जजों के घर से बड़ी मात्रा में नकदी और संपत्ति बरामद होने की घटनाएं सामने आई हैं। न्यायपालिका का पद बेहद महत्वपूर्ण होता है, इसलिए सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों के लिए ईमानदारी और सच्चाई अनिवार्य है। यदि किसी जज के घर से अवैध संपत्ति मिली है और वह दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे मामलों में पद से बर्खास्तगी या अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और ऐसे कृत्य समाज के लिए घातक हैं।
बिहार में एसआईआर मामले में शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि चुनाव आयोग ने बताया है कि विशेष पुनरीक्षण में अधिकांश फॉर्म जमा हो चुके हैं और 1990 तक के वोटर्स के नाम भी शामिल किए गए हैं। परंतु, कई लोगों के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज हैं, जो आमतौर पर वोटिंग में मान्य होते हैं। अब चुनाव आयोग ने आधार और राशन कार्ड को अपात्र माना है, जिससे मामला कोर्ट में पहुंच गया है। कोर्ट ने 21 जुलाई तक सभी दस्तावेज चुनाव आयोग से मांगे हैं और 28 जुलाई को इस मामले की सुनवाई होगी। इसके बाद स्थिति स्पष्ट होगी।