नई दिल्ली: लोकगायिका और छठ गीत को दुनियाभर में पहुंचाने और लोकप्रिय बनाने वाली गायिका शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनके पुत्र अंशुमान सिन्हा ने राष्ट्रपति से पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कहा कि कुछ साल पहले उन्हें यह पुरस्कार मिल जाना चाहिए था।
आईएएनएस से बातचीत करते हुए अंशुमान सिन्हा ने कहा, "यह बेहद गौरव का क्षण था। एक पुत्र होने के नाते मैंने यह पुरस्कार ग्रहण किया। लेकिन, इस बात की निराशा भी है कि इस अवसर पर मां खुद मौजूद नहीं थीं। इस सम्मान के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं। 2018 में उन्हें पद्म भूषण मिला था, मुझे लगता है कि अगर पद्म विभूषण थोड़ा और पहले मिल गया होता तो शायद मां कुछ वर्ष और जीवित रहतीं। यह एक इतिहास है कि लोक विधा के किसी कलाकार को तीनों पद्म पुरस्कार मिले हैं।"
अंशुमान ने आगे कहा, "बिहार के धरोहरों में अगर कुछ नाम लिए जाएंगे तो उसमें मां का नाम निश्चित रूप से आएगा। वह बिहार के लिए बहुत कुछ छोड़कर गई हैं। दुनियाभर में अगर लोग छठ को जानते हैं तो उसमें उनका बड़ा योगदान रहा है। हमें उनकी विरासत को बचाकर रखना है। नए कलाकारों को कोशिश करनी चाहिए कि वे भोजपुरी की मिठास को बचाकर रखें। प्रयोग का विरोध नहीं है। लेकिन, मूल आत्मा के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। मां का भी यही संदेश था।"
अंशुमान ने कहा, "मुझे लगता है कि मां के सम्मान में जितना केंद्र सरकार ने किया है, उतना राज्य सरकार नहीं कर पाई है। राज्य सरकार को मां की स्मृति में एक संग्रहालय या ऐसा कुछ अवश्य बनाना चाहिए।"
बता दें कि शारदा सिन्हा ने छठ गीत को भोजपुरी और मैथिली भाषा में गाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी पहचान हासिल की। उनके गीत और छठ एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं। यह भी संयोग ही है कि 5 नवंबर 2024 को दिल्ली में 4 दिवसीय छठ के पहले दिन उनका निधन हो गया। भारत सरकार ने मरणोपरांत उन्हें पद्म विभूषण देने की घोषणा की थी।