Hindi language Controversy : शरद पवार बोले- कक्षा एक से हिंदी अनिवार्य करना सही नहीं, 5वीं के बाद पढ़ाई जाए

शरद पवार का बयान—पहली कक्षा से हिंदी अनिवार्य करना छात्रों पर बोझ डालना है
भाषा विवाद : शरद पवार बोले- कक्षा एक से हिंदी अनिवार्य करना सही नहीं, 5वीं के बाद पढ़ाई जाए

मुंबई: महाराष्ट्र में हिंदी भाषा के मुद्दे पर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बाद शरद पवार ने भी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। एनसीपी-शरद गुट के प्रमुख का कहना है कि पहली क्लास से हिंदी की अनिवार्यता उचित नहीं है।

शरद पवार ने शुक्रवार को कोल्हापुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हिंदी भाषा विवाद को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, "इसके दो पहलू हैं। पहली कक्षा से प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को अनिवार्य करना सही नहीं है। पांचवीं कक्षा से हिंदी सीखना छात्र के हित में है। आज देश में करीब 55 फीसदी लोग हिंदी बोलते हैं। हिंदी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।"

पवार ने आगे कहा, "महाराष्ट्र में लोग हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अभी पहली क्लास से ही बच्चों पर नई भाषा थोपना ठीक नहीं है। वहां मातृभाषा महत्वपूर्ण है।" उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में उठते विरोध की ओर इशारा करते हुए कहा कि "दोनों ठाकरे (उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे) हिंदी की अनिवार्यता के खिलाफ हैं।"

बता दें कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने हिंदी भाषा का विरोध करते हुए आंदोलन करने का ऐलान किया है। 6 जुलाई को राज ठाकरे की ओर से मुंबई में मार्च निकाला जाना है, जबकि उद्धव ठाकरे की ओर से 7 जुलाई को आंदोलन की घोषणा की गई है।

शरद पवार इन विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेंगे या नहीं, इस पर शुक्रवार को उन्होंने अपनी स्थिति जाहिर की। पवार ने कहा, "मैंने दोनों ठाकरे के बयान पढ़े हैं। मैं मुंबई जाकर समझूंगा कि वो क्या कह रहे हैं। मैं मुंबई जाकर उनसे मिलूंगा। हो सकता है कि आप सिर्फ कहने मात्र से इसमें भाग न ले पाएं, लेकिन यदि मुद्दा आपकी रुचि का है और आप हिस्सा लेना चाहते हैं तो आपको ठीक से समझना चाहिए कि उनकी नीति क्या है।"

 

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